पौष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 21 दिसंबर, बुधवार को है। इस एकादशी के महत्व का वर्णन भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को बताया है। पद्मपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण कहते हैं कि- बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना सफला एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है।
सफला एकादशी का व्रत अपने नाम के अनुसार सभी कार्यों में मनोवांछित सफलता प्रदान करता है। इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है और वह जीवन का सुख भोगकर मृत्यु पश्चात विष्णु लोक को प्राप्त होता है। यह व्रत अति मंगलकारी और पुण्यदायी है।
जो भक्त सफला एकादशी का व्रत रखते हैं व रात्रि में जागरण एवं भजन कीर्तन करते हैं उन्हें श्रेष्ठ यज्ञों से जो पुण्य मिलता उससे कहीं बढ़कर फल की प्राप्ति होती है। ऐसा पुराणों में वर्णित है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 दिसंबर 2011
सफला एकादशी आज, श्रीकृष्ण को प्रिय है यह व्रत
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