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23 दिसंबर 2011

मौत के शहर' में लोग कब्रिस्तान में बैठकर करते थे अपनी मौत का इंतज़ार


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इस गांव के बारे में पढ़ते ही कबीर दास का गीत ‘साधौ ये मुर्दो का गांव’ याद आ जाता है। रूस के उत्तरी ओसेटिया में पांच पहाड़ी घाटियों में घिरी ये जगह है ‘डरगव्स’ जिसे ‘सिटी ऑफ डेड’ भी कहा जाता है। इस रहस्यमयी जगह के बारे में स्थानीय लोगों में कई किस्से और धारणाएं मशहूर हैं।

कहते हैं कि यहां से कोई भी जिंदा नहीं लौटता है। इस कारण यहां पर्यटक भी नहीं आते हैं। डरगव्स पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। तेज हवाएं, बादल और कोहरे वाला मौसम भी किसी तरह की मदद नहीं करता।
यहां पहुंचने पर पहाड़ों पर बने छोटे-छोटे घर नजर आते हैं। ये घर दरअसल कब्रें हैं। स्थानीय लोग अपने प्रियजन को यहां दफनाते हैं। यहां पर 16वीं सदी तक की पुरानी कब्रें देखी जा सकती हैं। पुरातत्वशास्त्रियों ने यहां रिसर्च की तो पता चला कि पुरानी कब्रों में लोगों को लकड़ी की नाव जैसे स्ट्रक्चर में दफनाया गया है।

सवाल ये उठता है कि यहां नदी का नामोनिशान नहीं है, वहां नाव का क्या काम था? कहा जाता है कि आदमी की आत्मा इस नाव से स्वर्ग तक का सफर तय करती है। इन घरों के सामने एक कुआं भी खोदा जाता है। परिवार वाले कुएं में सिक्का फेंकते हैं, सिक्का अगर तल में जाकर पत्थर से टकराता है तो समझा जाता है व्यक्ति की आत्म स्वर्ग पहुंच गई।
इलाके की सीमा के बाहर जो कब्रें बनी हैं वे अपराधियों की हैं। बताया जाता है कि जब प्लेग फैला था, तब जिनका कोई नहीं होता था वे अपने परिवार के कब्रिस्तान में बैठकर अपनी मौत का इंतजार करते थे।

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