नई दिल्ली. लोकसभा में गुरुवार को संविधान संशोधन पर वोटिंग को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। दरअसल, केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने 111वां संशोधन विधेयक ‘मूव’ किया। यह संविधान में नया अनुच्छेद 43-बी को शामिल किए जाने को लेकर था। यह संशोधन सहकारी समितियों के गठन से जुड़ा है। इस पर सीपीएम के एक सांसद ने संशोधन पेश किया।
ऐसे समय में सत्ता पक्ष के सांसदों ने गलती से ‘ना’ की जगह ‘हां’ का बटन दबा दिया। इस तरह किसी विपक्षी सांसद के प्रस्ताव को 226 सांसदों का समर्थन मिल गया जबकि विरोध में केवल 36 वोट मिले। ऐसा होते ही पूरे सदन में सन्नाटा छा गया। सत्ता पक्ष को समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह कैसे हुआ। शुरू में लगा कि लोकसभा में लगे वोटिंग के बटन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन गलत वोटिंग करने वाले सांसदों की थी।
शरद पवार ने दोबारा मत विभाजन की मांग की। लेकिन माकपा वोटिंग में गड़बड़ी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। लोकसभा स्पीकर ने ऐसे हालात में सदन के नियमों का अध्ययन किया और फिर से मत विभाजन की अनुमति दी। इस बार संविधान संशोधन 16 के मुकाबले 369 वोट से पारित हो गया।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2011
वोटिंग को लेकर असमंजस की स्थिति
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