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21 दिसंबर 2011

केसा वायदा ,,केसा लोकपाल ..केसा भ्रष्टचार नियंत्रण ....अन्ना जाए भाड़ में हम तो है चोर चोर मोसेरे भाई

केसा वायदा ,,केसा लोकपाल ..केसा भ्रष्टचार नियंत्रण ....अन्ना जाए भाड़ में हम तो है चोर चोर मोसेरे भाई ........जी हाँ दोस्तों अब तो सरकार और उसके समर्थित सभी एरे गेरे नत्थू खेरे दलों का यही नारा है ....कोंग्रेस की अध्यक्ष सोनिया जी ने सरकारी मजाकिया लोकपाल पर खम ठोका है ..तो लालू और मुलायम इस लोकपाल से डर गये हैं ..प्रधानमन्त्री जी बाहर सरकार की इंस्ट्रूमेंट एजेसी सी बी आई वेसे ही रिमोट से चलेगी ....उस पर निष्पक्ष अंकुश नहीं ..अदालतों से कोई मतलब नहीं और छोटे कर्मचारी जिनके पास से दस हजार तनख्वाह के बाद भी करोड़ों रूपये निकल रहे हैं वोह इस दायरे में सशर्त है कहते हैं कोंग्रेस और कोंग्रेस के नेताओं की बुद्धि सठिया गयी है भाई अगर कोंग्रेस यह सोचती है के फिर से वोह चुनाव जीतेगी तो हमारे जेसे दस प्रतिशत भेड़ चाल चलने वाले बेवकूफ कोंग्रेस के परम्परागत मतदाताओं से तो यह सम्भव नहीं लगता खेर अगर कोंग्रेस नहीं आई और कोंग्रेस के कार्यकाल के मंत्रियों और प्रधानमन्त्री जी की जांच हुई तो लोकपाल की जाँच में तो फांसी और राजद्रोह पक्का है इसलियें भाई कोंग्रेस को खुद और खुद के नेताओं को तो बचाना ही होगा ....... अब रहा अन्ना के बूढ़े होने और उन्हें अनशन से रोकने के लियें अनशन स्थल के महंगे दाम वसूली की और अन्ना पर भाजपा आर एस एस के समर्थन की तो अगर देश हित में कोई ऐसा करता भी है तो कोनसी गलत बात है ..... देश के भ्रष्टाचार नियंत्रण मामले में मेने अन्ना और समर्थकों को इण्डिया अगेंस्ट करप्शन पर सुझाव दिया था और वही सच है ..... दोस्तों आप और हम जिन्हें ने देश के सभी कानून पढ़े है वोह सब जानते है के कानून बनाना और उन्हें बिना लागु किये भूल जाना सरकार और अदालतों की पुरानी आदत है ..हजारों कल्याणकारी कानून ठंडे बसते में बंद है ..उन्हें लागु करने के लियें कोई संसाधन एजेंसी नहीं बनाई गयी है हज़ारों कानून ऐसे हैं जिसमे जनता को कोई अधिकार नहीं है जनता अपराध होते हुए तो देख सकती है लेकिन उसे कार्यवाही के लियें सरकारी अधिकारी या इंस्पेक्टर को ही इंचार्ज बनाया गया है अब अगर वोह बेईमान तो फिर कोई भी ऐसे मामले में कुछ नहीं कर सकता पर्यावरण से लेकर नगरपालिका सहित आवश्यकता आपूर्ति मिलावट कानून खाद पदार्थ कानून सहित सेकड़ों जनता से जुड़े कानून है लेकिन जनता अपराध और शोषण होते हुए तो देख सकती है लेकिन कुछ कर नहीं सकती ..दूसरी बढ़ी बात यह है के जनता के सामने रिश्वत ली जा रही है भ्रष्टाचार फेल रहा है अधिकारी अत्याचार कर रहे है लेकिन उन्हें कानून में विशेष प्रोटेक्शन है सरकार अनुमति नहीं देती तो ऐसे बेईमान और भ्रष्ट अधिकारीयों का हम कुछ नहीं बिगाड़ सकते ...देश में कानून एक संविधान एक अपराध एक लेकिन नागरिकों के दोयम दर्जे बना दिए गये हैं राष्ट्रपति...प्रधानमन्त्री.मंत्री..सांसद.कलेक्टर अधिकारी और जजों को कुर्सी पर रहते हुए अपराध करने और फिर उनके खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की जासके इसके लियें विशेष प्रावधान हैं जुडिशियल प्रोटेक्शन एक्ट है .न्यायालय की अवमानना अधिनियम है ..सी आर पी सी में १९७ का प्रोटेक्शन है .सभी क़ानूनों में अत्याचार अनाचार के बाद बझी अधिकारी के खिलाफ कोई भी वाद या मुकदमा दायर नहीं करने की शर्त लगा दी गयी है और बस यह काले अँगरेज़ देश और देश की जनता को दोनों हाथों से लूट रहे हैं ...सडकों पर अत्याचार कर रहे हैं निर्दोषों को पकड़ रहे है सजा दिलवा रहे हैं सजा दे रहे हैं और उनका कोई भी कुछ बिगाड़ने वाला नहीं है जनता है के अपराध सामने होते हुए देखती है लेकिन खुद कहीं शिकायत नहीं कर सकती अगर शिकायत करे भी तो अधिकारी चाहे तभी कार्यवाही होगी वरना कुछ नहीं ......अब जनाब मेने कहा था के कोई भी जज कोई भी अधिकारी कोई भी मंत्री राज्थ्र्पति प्रधानमन्त्री जो भी हो सभी को देश में बने कानून के दायरे में लिया जाए और आम आदमी को किसी भी अपराध के मामले में अदालत जाकर परिवाद पेश करने का अधिकार हो और अदालत भी गड़बड़ करे तो उसके खिलाफ भी परिवाद सम्बंधित अपराधिक धाराओं में पेश करने का आम जनता को अधिकार हो तो फिर खुद बा खुद लोकतंत्र जीवित होगा सभी को एक दुसरे का डर होगा और जो लोग अपराधी हैं चाहे वोह कितना बढ़ा हो उसे सजा मिलेगी इस डर से भ्रष्टाचार अत्याचार अनाचार बेईमानी खुद बा खुद खत्म हो जाएगी हाँ ऐसे लोगों के खिलाफ अगर शिकायत झूंठी पायी जाए और परिवादी इन शिकायतों को अबित करने में असमर्थ रहे तो फिर ऐसे झूंठे परिवाद शिकायत पेश करने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही हो ताके फर्जी और झूंठे परिवाद पर रोक लगे लेकिन भाई यह मेरा भारत महान हैं यहाँ कानून तो है लेकिन सबसे छोटा और बेबस है यहाँ कानून सरकार के इशारे पर चलने वाली वेश्या बन गया है जो भरपूर भेदभाव के साथ छोटे और बढ़े के लियें अलग अलग काम करता है लेकिन अगर यह भेदभाव कानून की निगाह में खत्म हो जाए और आम जनता को हर मामले में शिकायत दर्ज करा कर दोषी आदमी को सजा दिलवाने अधिकार मिल जाए और सद्भाविक कार्यवाही या ऊँचे पदों पर बेठे लोगों को जो विशेष दर्जा दिया गया है उसे खत्म कर कानून की निगाह में आम आदमी बना दिया जाए तो देश में अपराध खुद खत्म होंगे और भ्रष्टाचार भेदभाव पूर्ण कार्यवाही करने के पहले कोई भी व्यक्ति दस बार नहीं हजार बार नहीं करोड़ों बार सोचेगा और अदालतें भी निष्पक्ष और जवाबदार बन जायेंगी लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा क्या यह सपना है कह नहीं सकते भाई ......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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