अनेक धर्मग्रंथों में पौष मास के धार्मिक महत्व के बारे बताया गया है। पौष मास में स्नान, तप, ध्यान, दान तथा व्रत का महत्व भी है। विष्णुधर्मोत्तर पुराण के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को बेहतर स्वास्थ्य के लिए आरोग्यव्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 26 दिसंबर, सोमवार को है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
इस दिन गायों की सीगों को धोकर लिए हुए जल से स्नान करके सफेद वस्त्र धारणकर सूर्यास्त के बाद बालेन्दु (द्वितीया के चंद्रमा) का गंध आदि से पूजन करें। जब तक चंद्रमा अस्त न हों तब तक गुड़, दही, खीर से ब्राह्मणों को संतुष्ट कर केवल छाछ पीकर जमीन पर शयन करें। इस प्रकार प्रत्येक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक वर्ष तक चंद्रपूजन करके बारहवें महीने (मार्गशीर्ष) में गन्ने के रस से भरा घड़ा, सोना और वस्त्र ब्राह्मणों को देकर उन्हें भोजन कराने से रोगों की निवृत्ति और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 दिसंबर 2011
26 को करें आरोग्य व्रत, मिलेगा बेहतर लाभ
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