कारण पूछने पर वो लोग बताते हैं कि रोजगार के लिए लोग गांव छोड़कर सूरत, मुंबई व पुणे जैसे शहरों में बस गए हैं। 15-20 साल पहले यहां चहल-पहल रहती थी आज लोग न के बराबर दिखते हैं। गांव में सर्वाधिक मकान जैन समाज के हैं।
सूरत शहर में बस चुके 38 वर्षीय प्रकाश जैन इन दिनों गांव आए हुए हैं। उनका कहना है कि अब यहां केवल 5 परिवार ही रहते हैं। सेमड़ निवासी दीप चंद टेलर ने बताया कि गांव के अधिकांश लोग खास मौकों या फिर गर्मी की छुट्टियां बिताने आते हैं। पहले यहां कच्चे मकान थे। लेकिन लोगों की चहल पहल थी। अब पक्के मकान हैं, लेकिन उनमें रहने वाला कोई नहीं है।
85 वर्षीय मगनी बाई मेहता बताती हैं किसी का निधन होने पर कई बार तो अर्थी को कंधा देने वाले चार लोग नहीं मिलते।
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