तीसरी बार 1321 में गयासुद्दीन तुगलक ने यहां शासन किया। तुगलकाबाद दिल्ली के सात शहरों में से तीसरा शहर था। लाल बलुआई पत्थर से बने इस किले के अवशेष कुतुबमीनार से करीब 8 किलोमीटर पूर्व आज भी नजर आते हैं। इसकी दीवारें ही अवशेष के रूप में मौजूद हैं। इसके बाद सन् 1325 में मुहम्मद बिन तुगलक ने इस शहर को फिर से बसाने का प्रयास किया और यहां 1351 तक शासन किया। पांचवीं दिल्ली के रूप में फिरोजशाह तुगलक ने इसे 1351 में चुना। कहा जाता है कि 1388 तक यहां एक बार भी महामारी और बाहरी आक्रमण नहीं हुए। इसके बावजूद यह फिर उजड़ी। इंद्रप्रस्थ काल के ढांचा वाले पुराना किले को 1538 में शेरशाह सुरी ने अपने हाथों में लिया और यहां दीनपनाह नाम से इस स्थान की नींव रखी। अंत में शाहजहानाबाद के रूप में 1638 में दिल्ली एक शहर के रूप में स्थापित होती दिखी। इसी शहर में आज का चांदनी चौक और लालकिला आता है। एएसआई के अनुसार शाहजहानाबाद को घेरने वाली प्राचीर और शहर का प्रारूप 1650 में तैयार हुआ जो 1857 तक अपने मूल रूप में रहा। इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यह फिर से राजधानी के रूप में अपनाई गई। जो आज एक खूबसूरत बसी राजधानी के रूप में हमारे सामने मौजूद है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 दिसंबर 2011
दिल्ली एक शहर के रूप में सात बार बसी और फिर उजड़ी
तीसरी बार 1321 में गयासुद्दीन तुगलक ने यहां शासन किया। तुगलकाबाद दिल्ली के सात शहरों में से तीसरा शहर था। लाल बलुआई पत्थर से बने इस किले के अवशेष कुतुबमीनार से करीब 8 किलोमीटर पूर्व आज भी नजर आते हैं। इसकी दीवारें ही अवशेष के रूप में मौजूद हैं। इसके बाद सन् 1325 में मुहम्मद बिन तुगलक ने इस शहर को फिर से बसाने का प्रयास किया और यहां 1351 तक शासन किया। पांचवीं दिल्ली के रूप में फिरोजशाह तुगलक ने इसे 1351 में चुना। कहा जाता है कि 1388 तक यहां एक बार भी महामारी और बाहरी आक्रमण नहीं हुए। इसके बावजूद यह फिर उजड़ी। इंद्रप्रस्थ काल के ढांचा वाले पुराना किले को 1538 में शेरशाह सुरी ने अपने हाथों में लिया और यहां दीनपनाह नाम से इस स्थान की नींव रखी। अंत में शाहजहानाबाद के रूप में 1638 में दिल्ली एक शहर के रूप में स्थापित होती दिखी। इसी शहर में आज का चांदनी चौक और लालकिला आता है। एएसआई के अनुसार शाहजहानाबाद को घेरने वाली प्राचीर और शहर का प्रारूप 1650 में तैयार हुआ जो 1857 तक अपने मूल रूप में रहा। इसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यह फिर से राजधानी के रूप में अपनाई गई। जो आज एक खूबसूरत बसी राजधानी के रूप में हमारे सामने मौजूद है।
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