मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ में जिला पुलिस ने छेड़खानी की वारदातें रोकने के लिए तमाम कायदे-कानून ही किनारे कर ऐसा ऑपरेशन चलाया है जिसके बारे में वरिष्ठ अधिकारी ही जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
'ऑपरेशन मजनू' में शनिवार को पुलिस ने लड़कियों को भी लैला बना दिया। गुरुवार को शुरु हए इस ऑपरेशन में पुलिस ने शहर भर में स्कूल कॉलेजों के बाहर से युवकों को पकड़कर पिंजरे में बंद करके शहर भर में घुमाया था। इस पिंजरे का नाम मजनू पिंजरा रखा गया। लेकिन शनिवार को तो पुलिस ने हद ही कर दी और लड़कियों को भी लैला बना दिया। पुलिसकर्मियों ने पार्कों में बैठी लड़कियों को पकड़कर उनकी खूब फजीहत की। कई लड़कियां तो पुलिस की इस कार्रवाई से इतनी खौफजदा हुईं की चीख-चीख कर रोने लगीं।
ऑपरेशन मजनू के संबंध में मेरठ रेंज के आईजी राजीव कृष्ण ने कहा कि पुलिस मोरल पुलिसिंग नहीं कर रही है। अभियान सिर्फ लड़कियों को छेड़ने वाले मनचलें युवकों के खिलाफ किया जा रहा है। यदि पुलिस ने युवतियों को पकड़कर उनसे पूछताछ की है तो दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आईजी ने यह भी कहा कि यदि कोई युवक या युवती अपनी मर्जी से कहीं बैठे हैं या साथ जा रहे हैं तो उनके खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
लेकिन प्रश्न यह उठ रहा है कि जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोरल पुलिस के खिलाफ हैं तो फिर जिला पुलिस इस तरह का अभियान किसके आदेश पर चला रही है। गुरुवार को चलाए गए आपरेशन में 200 से अधिक युवक पुलिस के हत्थे चढ़े थे।
एक और बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या पुलिस किसी भी युवक या युवती को पकड़कर उसकी सरेआम बेइज्जती कर सकती है? मेरठ पुलिस के इस कृत्य का ऑनलाइन जगत में भी काफी विरोध हो रहा है और इस ऑपरेशन पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
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