इनमें से 75 प्रतिशत ऐसे होते हैं जो डॉक्टर की सलाह के बिना पुरानी पर्ची के आधार पर या सीधे केमिस्ट वाले से दवा ले लेते हैं। यह सोचे बिना कि इन दवाओं से लिवर, किडनी और अन्य हिस्सों पर साइड इफेक्ट हो सकता है। डॉक्टरों की मानें तो डॉक्टरी सलाह के बिना लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का एक जैसा डोज लेने से इनका असर नहीं होता है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग ने एक अध्ययन किया। इसमें 15 से 30 साल तक के इंजीनियरिंग, मेडिकल, कोचिंग क्लास के 80 छात्र और बीपीओ कॉल सेंटर के 20 कर्मचारियों को शामिल किया गया। ये वे लोग थे जो मामूली सिर, पेट, जोड़ों या अन्य प्रकार का दर्द होने पर तुरंत दर्दनिवारक गोलियां खाने लगते हैं। इनमें से कुछ को इसकी जरूरत भी नहीं होती है।
इनमें से 10 फीसदी ने बताया कि दवा का असर नहीं होने पर वे खुद डोज बढ़ा देते हैं। कुछ लोग परिजन, केमिस्ट वाले और दोस्तों के कहने पर ये दवा ले लेते हैं। वहीं कुछ लोग पुरानी पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर से दवा ले लेते हैं। इनमें से आठ फीसदी ने माना कि दवा खाने के बुरे असर के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा।
मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. संजय दीक्षित के अनुसार सिरदर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, गैस, पेट दर्द आदि। अकारण ही दर्द निवारक दवाओं की बिक्री रोकने के लिए सत कानून बनाया जाए। डॉक्टरी सलाह के बिना ये दवाएं न दी जाएं।
इनका उपयोग
डिस्प्रिन 57 प्रतिशत, कॉम्बिफ्लेम 28, क्रोसिन सात और अन्य दवाएं आठ फीसद
ये हैं साइड इफेक्ट
उल्टी, खुजलाहट, किडनी, लिवर की खराबी, गंभीर सिरदर्द।
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