हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के नवे मास को अगहन व मार्गशीर्ष कहते हैं। इस बार श्रद्धा और भक्ति के पवित्र मास अगहन(मार्गशीर्ष) का प्रारंभ 11 नवंबर, शुक्रवार से हो चुका है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में विधिवत पूजन-पाठ का विशेष महत्व माना गया है। स्कंदपुराण के अनुसार भगवान की कृपा प्राप्त करने की कामना करने वाले श्रद्धालुओं को मार्गशीर्ष मास में व्रत आदि करना चाहिए। इस माह किए गए व्रत-उपवास से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
नदी स्नान से मिलती है श्रीकृष्ण कृपा
इस माह में नदी स्नान की बड़ी महिमा कही गई है। शास्त्रों के अनुसार जब गोकुल में असंख्य गोपियों ने श्रीहरि को प्राप्त करने के लिए ध्यान लगाया तब श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष स्नान की सलाह दी। इसमें नियमित विधिपूर्वक प्रात: स्नान करने और इष्टदेव को प्रणाम करने की भी बात कही गई है।
कैसे करें नदी स्नान?
मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान के समय ऊँ नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र जप करें।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 नवंबर 2011
अगहन मास प्रारंभ, श्रीकृष्ण को प्रिय है यह मास
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