उन्होंने अपने संबोधन के दौरान किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ‘जब भी हम स्कूलों में गीता पढ़ाने की बात करते हैं, तो कुछ लोगों को बड़ी तकलीफ होती है। अगर इससे उन लोगों को तकलीफ होती है तो होती रही, हम स्कूलों में बच्चों को गीता का ज्ञान हर हाल में देकर रहेंगे। मुख्यमंत्री के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने कहा कि शिक्षा में धर्म के घालमेल का हम विरोध करते हैं।
भाजपा और संघ इस तरह की बात कर अपना एजेंडा थोप रहे हैं।
यह भी बोले मुख्यमंत्री
- न तो शिक्षा धर्मनिरपेक्ष हो सकती है, न ही देश। बात सर्वधर्म समभाव और सभी धमोर्ं के आदर की होनी चाहिए। कोरी धर्मनिरपेक्षता की नहीं।
- क्या गीता कोई सांप्रदायिक ग्रंथ है? कर्म करो, फल की चिंता मत करो, इस वाक्य में कौन सी सांप्रदायिकता है और क्या इसे बच्चों को पढ़ाना अपराध है?
- प्रदेश सरकार विद्यार्थियों को हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ के साथ दूसरे मजहबों की अच्छी बातें भी पढ़ाएगी।
- जब भी हम पाठच्यक्रम में बदलाव की बात करते हैं, हम पर उंगलियां उठने लगती हैं। लेकिन, प्रदेश के स्कूली विद्यार्थियों को न तो अधूरा इतिहास पढ़ाया जाएगा, न ही अधकचरा ज्ञान दिया जाएगा।’
सूर्य नमस्कार और प्राणायम
प्रदेश सरकार को स्कूली शिक्षा के गलियारों में ‘सूर्य नमस्कार’ और ‘प्राणायाम’ लागू करते वक्त विवादों और विरोध का सामना करना पड़ा था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)