इस्लाम में वर्ष के चार महीने मोहर्रम, रमजान, शव्वाल और जिलहिज्जा इबादत और बरकत के माने जाते हैं। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के पूर्व सचिव हाजी अनवर शाह के अनुसार मोहर्रम के महीने की शुरुआत को यौम—ए—आसुरा का दिन माना जाता है।
हदीस के अनुसार आसुरा का दिन पवित्र माना गया है। इस दिन सृष्टि की रचना हुई थी और आसमान से बारिश की पहली बूंद गिरी थी। साल के आखिरी दिन और नए साल की पहली तारीख को अकीदतमंद नफली रोजा रखेंगे।
अकीदतमंद गरीबों को भोजन खिलाएंगे। रमजान को फर्ज रोजों का महीना व शव्वाल को रमजान की समाप्ति पर पहली तारीख को ईद की खुशियां मनाई जाती हैं। जिलहिज्जा के महीने की दस तारीख को कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा मनाया जाता है।
मोहर्रम की दस तारीख को निकलेंगे ताजिये
मोहर्रम के महीने की दस तारीख को इमाम हुसैन की याद में शहादत दिवस मनाया जाएगा। बरकत के इस महीने में हुसैन के नाम के फ़ातिहा पढ़े जाएंगे।
पहली तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब के बयान होंगे। इसके बाद मोहर्रम की सात तारीख से छोटे—छोटे ताजिए निकालना शुरू हो जाएंगे। दस तारीख को ताजियों का जुलूस निकलेगा।
इस्लामी महीने
1. मोहर्रम,
2. सफर,
3. रवि उल अव्वल,
4. रवि-उल-आखिर,
5. जमादी-उल अव्वल,
6. जमादीउल,
7. रज्जब,
8. साबान,
9. रमजान,
10. शव्वाल,
11. जिकादा,
12. जिलहिज्जा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)