अच्छी स्मरण शक्ति का यह अर्थ नहीं है कि बातों को याद रखा जाए। बढ़िया याददाश्त के मायने यह भी हैं कि जो भुलाने लायक है उसे भुला दिया जाए। ताकत याद रखने में ही नहीं लगती, उससे ज्यादा ताकत तो व्यक्तियों और स्थितियों को भुलाने में लगती है।
स्मरण शक्ति का उपयोग लाभकारी होना चाहिए। हर उस बात को याद रखें, जो खुशी दे, चित्त को हल्का बनाए, तबीयत प्रसन्न रखे। जिससे खिन्नता, भारीपन, निराशा, उदासी आती हो उसे भुलाने में ही भला है।
स्मरण शक्ति को भी रीचार्ज करना पड़ता है। इसकी मेमोरी को हमेशा फुल न रखें, खाली करते रहें। रिफ्रेश की कला को याददाश्त से जरूर जोड़ें। जो ज्यादा याद रखते हैं, वे डिप्रेशन में भी जल्दी चले जाते हैं। याददाश्त की साफ-सफाई ठीक से नहीं करेंगे तो एक बीमारी और हो जाती है।
बातें हैं वो समय पर दिमाग में नहीं आतीं और ऊटपटांग, इधर-उधर के विचार मस्तिष्क में न चाहने पर भी आते हैं। स्मरण शक्ति के सदुपयोग के लिए कुछ ऐसा किया जाए कि विचार के स्तर पर उनसे जुड़ें जिनसे सीधा संबंध न हो, जैसे प्रकृति और परमात्मा, मनुष्यों और उनके द्वारा निर्मित स्थितियों के अलावा भी संसार में बहुत कुछ है, जैसे- वृक्ष, नदी, पर्वत आदि, इनके अस्तित्व से जुड़ें।
इनसे जुड़ते ही विचार नवीन बनेंगे, जो हमें जीवन की गहरी जड़ों तक ले जाएंगे और स्मृति को ताजगी प्रदान करेंगे, तब आसान होगा याद रखने वाली बात याद रखना, भूल जाने वाली भूल जाना।
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