सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में चल रही ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला पकड़ में आया है। हालांकि विभाग ने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है। इधर सांसद मीणा ने कहा कि बेटे को छात्रवृत्ति नियमों के बारे में जानकारी नहीं थी, अब उन्होंने उसे ऐसा करने से मना कर दिया है।
सांसद पुत्र राजकुमार ने यह छात्रवृत्ति बीडीएस कोर्स के दौरान छात्रवृत्ति आवेदन पत्र में सांसद पिता की वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम बताकर उठाई है। राजकुमार वर्तमान में जयपुर डेंटल कॉलेज का तृतीय वर्ष का छात्र है।
विभागीय नियमानुसार माता-पिता की वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम (अब दो लाख) होने पर ही एसटी, एससी वर्ग के विद्यार्थियों को विभिन्न कोर्सेज के लिए उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि विभाग ने करीब १६ राज्य व केन्द्र के कर्मचारियों के बच्चों को भी नियमों के खिलाफ लाखों रुपए की छात्रवृत्तियां आवंटित कर दी है।
ऐसे विद्यार्थियों को कॉलेज प्रवेश शुल्क व अनुरक्षण भत्ता दे भी दिया गया है। इन विद्यार्थियों ने भी माता-पिता की वार्षिक आय छात्रवृत्ति आवेदन पत्रों में एक लाख रुपए से कम बताकर छात्रवृत्ति उठा ली है। जानकारी हो कि विभाग में पहले भी छात्रवृत्ति में घपलों में मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से कभी इन ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।
यहां पर भी घोटाला
विभाग व कॉलेज प्रशासन मिलकर वर्ष २क्क्७-क्८ व क्८-क्९ में करीब २क्क् विद्यार्थियों को एक ही सत्र में दो-दो बार छात्रवृत्ति आवंटित कर दी है। यानी एक ही विद्यार्थी के नाम दो बार छात्रवृत्ति जारी कर दी गई है। इनमें से ऐसे नर्सिग, बीएड़, बीडीएस, एमबीबीएस, इंजीनियरिंग व अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज करने वाले विद्यार्थी शामिल है।
जिनको छात्रवृत्ति 20 हजार से १ लाख २७ हजार रुपए तक दी जाती है। इस राशि में अनुरक्षण भत्ता व कॉलेज प्रवेश शुल्क शामिल होत है। ऐसे में एक विद्यार्थी को दो बार छात्रवृत्ति राशि आवंटित करने से विभाग को लाखों रुपए की चपत लग गई है।
ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला आने के बाद संबंधित अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी से कतरा रहे हैं। वर्ष २क्क्७-क्८ में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र सिधे विद्यार्थियों से लिए जाते थे। इसके लिए संबंधित कॉलेज मान्यता प्राप्त होना चाहिए था और माता पिता की वार्षिक आय एक लाख रुपए थी। ऐसा होने पर विद्यार्थी को छात्रवृत्ति दी जाती थी। हालांकि बाद में विभाग ने नियमों में बदलवा करते हुए वार्षिक आय दो लाख रुपए कर दी है।
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