अटारी बार्डर . ‘असीं तेरे शहर नूं सलाम कर चल्ले आं, आशिकां दी आशिकी दे नाम कर चल्ले आं’ की टीस मन में लिए एक पाकिस्तानी युवक वीरवार को अटारी सड़क मार्ग के जरिए हारे दिल से अपने वतन को लौट गया। हालांकि, सालों तक जेल में रहने के बाद हुई रिहाई से वह सुकून महसूस कर रहा था, मगर उसके चेहरे पर उदासी छाई थी। सरहद पार करते वक्त वह बार-बार पीछे मुड़कर देख रहा था मानो उसके पीछे कोई आ रहा है और उसे रोक रहा हो।
लाहौर में रहने वाला युवा इरशाद मोहम्मद पुत्र वजीद अब्दुल वर्ष 1999 में राजस्थान के बिजनौर शहर में रहने वाले रिश्तेदारों से मिलने एक महीने के वीजे पर भारत आया। यहां पड़ोस में अपने ही कौम की एक लड़की से प्यार हो गया। मोहब्बत की पींगें बढ़ती गईं, वक्त रफ्तार से भागता रहा और उसका वीजा खत्म हो गया। इस दौरान दोनों ने साथ-साथ जीने-मरने की कसमें तो खाई ही, बल्कि उनको निभाने के लिए निकाह तक कर लिया। मगर लड़की के पुराने आशिक ने रंजिशन पुलिस में रिपोर्ट कर दी कि उक्त पाकिस्तानी नागरिक बिना वीजे के रह रहा है।
युवक के अनुसार सुबह-सुबह पुलिस ने दबिश दी तो वह लोग हक्के-बक्के रह गए। इसके बाद उसे जेल हो गई। पहले उसे सिलीगुड़ी जेल में रखा गया व बाद में कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया। दो साल की सजा काटने के बाद उसे वतन भेजा गया। उसका कहना है कि वह मजबूरी में अपनी बीवी को छोड़कर जा रहा है। सरहदों के बंटवारे में उसका परिवार बिखर गया है। कानूनी मुश्किलें इतनी हैं कि अपने जीवन साथी को साथ नहीं ले जा सकता, मगर वहां जाकर वह अपनी बीवी को वतन ले जाने के लिए पूरी कोशिश करेगा। पाकिस्तानी सरहद में कदम रखने से पूर्व उसने भारतीय सरजमीं को बड़ी ही शिद्दत से चूमा। इस दौरान उसकी आंखें भी छलक पड़ीं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अक्तूबर 2011
मोहब्बत की पींगें बढ़ती गईं, वक्त रफ्तार से भागता रहा और...
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