मोम का
दिल लिए
बेठा रहा में
तेज़ धुप में .........
फेर देखलो
दुसरे दिन
रेत का घरोंदा
बना कर
बेठ गया
मुसलाधार बरसात में
क्या मोम की तरह पिघलना
रेत के घरोंदे की तरह
बह जाना ही
प्यार होता है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अक्तूबर 2011
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बिना किसी जोड़-घटाओ के परिणाम की ओर से चिंता रहित रहना ही शायद प्यार है!
जवाब देंहटाएंरेत का घरोंदा
बना कर
बैठ गया
मुसलाधार बरसात में
सुन्दर विम्ब!
हाँ यही प्यार है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी.....
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