आपका-अख्तर खान

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21 अक्तूबर 2011

रेत के घरोंदे की तरह

मोम का
दिल लिए
बेठा रहा में
तेज़ धुप में .........
फेर देखलो
दुसरे दिन
रेत का घरोंदा
बना कर
बेठ गया
मुसलाधार बरसात में
क्या मोम की तरह पिघलना
रेत के घरोंदे की तरह
बह जाना ही
प्यार होता है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिना किसी जोड़-घटाओ के परिणाम की ओर से चिंता रहित रहना ही शायद प्यार है!
    रेत का घरोंदा
    बना कर
    बैठ गया
    मुसलाधार बरसात में
    सुन्दर विम्ब!

    जवाब देंहटाएं

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