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23 अक्तूबर 2011

दो बार पेड़ पर लटकाया, डंडों से पीटा.. फिर चिता पर लिटाकर जिंदा जला दिया

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मुरैना/ग्वालियर।दलित के साथ प्रेम करने की सजा एक विवाहित महिला को ऐसी मिली कि सुनने वाले की रूह कांप जाए। दो घंटे तक चले मौत के तांडव से पहले पूरे गांव में मुनादी कराई गई, जिसमें पति ने पकड़कर लाई गई अपनी पत्नी को सजा देने की घोषणा की। इसके बाद पति व ससुरालवालों ने गांव के बाहर मंदिर पर ग्रामीणों के सामने पहले महिला को दो बार फांसी पर लटकाया।

इसके बाद भी जब उसने दम नहीं तोड़ा तो डंडों से पीटते-पीटते उस पर केरोसिन डालकर आग के हवाले कर दिया। लेकिन, कुछ देर बाद आग बुझ गई और अधजली अवस्था में वह तड़पने लगी। दरिंदगी की सारी हदें तब पार हो गईं, जब अधजली अवस्था में तड़पती महिला को चिता पर लिटाकर जिंदा जला दिया।

इस घटना के बारे में दिमनी थाना प्रभारी मंगल सिंह ठाकरे का कहना है कि महिला को गांव वालों के सामने मारा गया है, लेकिन बयान देने को कोई तैयार नहीं है। मुरैना के दिमनी थाना क्षेत्र के ग्राम लहर में ससुराल से दलित प्रेमी संग भागी एक विवाहिता को गांव के बाहर भूमिया बाबा के मंदिर के पास मौत की सजा चौपाल जोड़कर दी गई थी। इसके लिए गुरुवार 20 अक्टूबर की सुबह गांव में बुलावा भिजवाया गया था। बुलावे पर मंदिर के पास करीब 50-60 लोग इकट्ठे हुए थे।

इस घटना के बारे में गांव के लोग दबी जुबान से स्वीकार तो कर रहे हैं, लेकिन खुलकर कुछ कहने से इंकार कर रहे हैं। इधर, पुलिस अफसर भी इस घटना की सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं। विवाहिता के पिता की शिकायत पर महिला के पति धनीराम व देवरों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

चौपाल जुड़ने के बाद मंदिर के पास लगे पीपल के पेड़ पर पहले गुड्डी को रस्सी से फांसी पर लटकाया गया। इस बीच रस्सी टूट गई, जिससे वह नीचे आ गिरी। इसके बाद उसे साड़ी से दोबारा फांसी पर लटकाया गया। इस पर भी जब उसकी सांसें चलती रहीं तो उसे डंडों से पीटा और केरोसिन डालकर जलाया गया। तब ही अधजली अवस्था में ही पहले से ही सजाई गई चिता पर लिटाकर जिंदा जला दिया गया।

चार किस्तों में दी मौत की सजा

चौपाल जुड़ने के बाद मंदिर के पास लगे पीपल के पेड़ पर पहले गुड्डी को रस्सी से फांसी पर लटकाया गया। इस बीच रस्सी टूट गई, जिससे वह नीचे आ गिरी। इसके बाद उसे साड़ी से दुबारा फांसी पर लटकाया गया। इस पर भी जब उसकी सांसें चलती रही तो उसे डंडों से पीटा और केरोसिन डालकर जलाया गया। तब ही अधजली अवस्था में ही पहले से ही सजाई गई चिता पर लिटाकर जिंदा जला दिया गया।

ऑनर किलिंग का मामला

गुड्डी को मौत देने से पहले उसका पति धनीराम व ससुराल वाले अपनी खोई इज्जत पाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने गांव के बाहर मंदिर पर ग्रामीणों के सामने ही उसे मौत की सजा देने की ठान ली। वे गांव के लोगों को दिखाना चाहते थे कि दलित के साथ भागकर उनकी इज्जत को रौंदने वाली को वे किस तरह से मौत की सजा सुना रहे हैं। इसके अलावा वे चाहते थे कि गांव के लिए भी यह नजीर बने।

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