आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

10 अक्तूबर 2011

गजल ने खोया अपना सम्राट, कल चंदनवाड़ी में होगा जगजीत सिंह का अंतिम संस्कार


नई दिल्‍ली. होठों से छू लो तुम..., ये दौलत भी ले लो..., होशवालों को खबर क्‍या..., हजारों ख्‍वाहिशें ऐसी..., हाथ छूटे भी तो..., जैसे अनगिनत सुरीली गजलों को आवाज देने वाले जगजीत सिंह अब नहीं रहे। उन्‍हें 23 सितंबर को ब्रेन हेमरेज के बाद मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लीलावती अस्‍पताल के प्रवक्‍ता डॉ. सुधीर नंदगांवकर ने घोषणा की, ‘ब्रेन हमरेज से जूझ रहे जगजीत सिंह का आठ बजकर 10 मिनट पर देहांत हो गया है।’ जगजीत सिंह के निधन के साथ ही मौसिकी की दुनिया का एक कालखंड समाप्‍त हो गया। उनके निधन पर पीएम मनमोहन सहित देशभर से कई हस्तियों ने शोक जताया है। जगजीत सिंह का मुंबई के चंदनवाड़ी में मंगलवार को अंतिम संस्‍कार किया जाएगा।

सिंह का डॉक्टरों ने दो बार ऑपरेशन किया, लेकिन उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। और, अंतत: वह सभी को छोड़ कर चले गए। कुछ वक्‍त को छोड़ दें तो जगजीत जिंदगी के आखिरी वक्‍त तक गाते रहे। जिस दिन उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, उस दिन भी मुंबई में उन्‍हें एक कार्यक्रम देना था। 70 साल के जगजीत सिंह को उस दिन पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली के साथ एक कंसर्ट में हिस्सा लेना था।


गजल गायकी को नया अंदाज देने के लिए जगजी‍त सिंह को हमेशा याद किया जाता रहेगा। जगजीत सिंह ने 1999 में आई फिल्‍म ‘सरफरोश’ के गीत ‘होश वालों को खबर क्‍या...’ को आवाज दी थी। मशहूर गायिका लता मंगेशकर के मुताबिक उन्‍होंने गजल गायकी में हर चीज बदल ली। बोल, सुर, ताल, आवाज...सब कुछ। उन्‍होंने गजल गाकर यह भी साबित किया कि गायिकी में दौलत-शोहरत कमाने के लिए बॉलीवुड से भी बाहर दुनिया है। पद्मभूषण से सम्‍मानित जगजीत सिंह के परिवार में उनकी पत्‍नी चित्रा सिंह हैं।

बकौल लता मंगेशकर जगजीत सिंह ने फिल्‍मों में गाने को लेकर मजाक में कहा था कि फिल्‍म में उन्‍हें कोई चांस ही नहीं देता और इसीलिए उन्‍होंने अपना अलग रास्‍ता चुन लिया। लेकिन गजल गाकर वह इतने लोकप्रिय हो गए थे कि उन्‍हें फिल्‍मों में गाने की जरूरत ही नहीं रह गई। हालांकि कई फिल्‍मों में भी उन्‍होंने यादगार गीत-गजल गाए। इस खबर के साथ दिए गए वीडियो पर क्लिक कर आप इसका एक नमूना देख सकते हैं। यह गीत (चिट्ठी ना कोई संदेश....) आज जगजीत सिंह का हर प्रशंसक गुनगुना चाहेगा।

संघर्ष के दौर में जगजीत सिंह गुजारे के लिए जिंगल्स (विज्ञापनों में इस्तेमाल गीत) गाते थे। खुद को बतौर गायक स्थापित करने की जद्दोजहद वाले इन दिनों में ही जगजीत की मुलाकात गायिका चित्रा से हुई (विस्‍तार से जानने के लिए पहला रिलेटेड आर्टिकल पढ़ें)। बाद में दोनों ने शादी की। पति-पत्नी की इस जोड़ी ने ग़ज़ल गायिकी में बहुत नाम कमाया। दोनों ने फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए और ग़ज़ल की दुनिया में क्रांति ला दी। लेकिन जब सब कुछ अच्छा चल रहा था, तभी जगजीत के बेटे विवेक की कार हादसे में हुई मौत ने दोनों को तोड़कर रख दिया।


इस हादसे ने चित्रा को गीत-संगीत की दुनिया से दूर कर दिया। लेकिन जगजीत गाते रहे और अपनी कला में ही दिल का सुकून तलाशते रहे। यह बात और है कि उनके नए गानों में भी जगजीत सिंह के दिल-ओ-दिमाग पर बेटे की मौत से छाया ग़म सुनने वालों के दिल तक पहुंचता रहा। और, उनकी गाई गजल (तुम इतना जो मुस्‍कुरा रहे हो, क्‍या गम है जो छिपा रहे हो...) में ही उनकी जिंदगी का सच नजर आने लगा।


गजल गायकी को नई बुलंदियों तक पहुंचाने में जगजीत सिंह का अहम योगदान रहा। 1941 में जन्‍में जगजीत सिंह को 'गजल किंग' यानी गजल की दुनिया का बादशाह भी कहा जाता है। जगजीत सिंह के बारे में विस्‍तार से जानने के लिए पहले रिलेटेड लिंक पर क्लिक करें।

1 टिप्पणी:

  1. “दो बूँद लुडक आये पलकों से कपोलों तक
    के चाँद उतर आया चल के यहाँ शोलों तक"

    विनम्र श्रद्धांजली....

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...