धनतेरस दो दिन आने का यह संयोग 24 व 25 अक्टूबर को बनेगा। दीपावली से पहले त्रयोदशी को दीपदान करने और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि जयंती मनाने की परंपरा है। ज्योतिषियों की माने तो इस बार ग्रह नक्षत्रों की चाल कुछ इस प्रकार की बनी है कि 24 अक्टूबर को धनतेरस के निमित्त किया जाने वाला दीपदान होगा, जबकि 25 अक्टूबर को धन्वंतरि जयंती व रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। दोनों ही दिन इस बार खरीदारी के लिए श्रेष्ठ रहेंगे।
इस बार आ रही दो त्रयोदशी को लेकर व्यापारियों में उत्साह है। वे दोनों ही अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। उन्होंने अभी से इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी है।
इसलिए रहेगा श्रेष्ठ
राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक 24 अक्टूबर को सूर्य शाम को 4.43 बजे स्वाति नक्षत्र में आ जाएगा। इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भी रहेगा। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 25 को तड़के 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसके बाद हस्त नक्षत्र आ जाएगा। शास्त्रानुसार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में अबूझ मुहूर्त, मांगलिक कार्य व खरीददारी करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वहीं हस्त नक्षत्र भी खरीददारी के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
यह संयोग इसलिए..
पं. बंशीधर जयपुर पंचांग के निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा का कहना है कि 24 अक्टूबर को त्रयोदशी दोपहर 12:33 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 9:03 बजे तक रहेगी। चूंकि दीपदान शाम को त्रयोदशी व प्रदोष काल में किया जाता है और धन्वंतरि जयंती उदियात तिथि में त्रयोदशी होने पर मनाई जाती है। इसलिए 24 अक्टूबर को शाम को त्रयोदशी होने पर दीप दान किया जा सकेगा। जबकि 25 अक्टूबर को सूर्योदय के समय त्रयोदशी होने के कारण इस दिन धन्वंतरि जयंती मनाई जाएगी। शर्मा ने बताया कि 25 को शाम को चतुर्दशी तिथि होने के कारण इसी दिन रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी
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