सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि पुलिस हिरासत से भागने के बाद कैदी सोनू शर्मा आखिर खुद को गोली क्यों मारेगा?
करौली एसपी ओमप्रकाश के अनुसार भरतपुर की सेवर जेल से हिंडौन निवासी सोनू शर्मा तथा महू भांकरी (करौली) निवासी चेता माली को शनिवार को पुलिस करौली में पेशी पर लाई थी। पुलिस कांस्टेबल शिवचरण, कुंवरपाल, दिगंबर सिंह, ओमप्रकाश व गोरधन उनके साथ थे।
पेशी से लौटते समय दोपहर करीब तीन बजे शिवचरण को छोड़कर चारों कांस्टेबल और दोनों कैदियों ने बस स्टैंड पर खाना खाया। बाद में सभी रोडवेज की बस में हिंडौन के लिए रवाना हुए। रास्ते में दोनों कैदियों और शिवचरण को छोड़कर अन्य चारों कांस्टेबलों को बेहोशी सी आने लगी।
इस बीच करौली-हिंडौन मार्ग पर गढ़ी बांधवा के समीप सोनू ने शिवचरण को मारपीट कर घायल कर दिया और बस रुकवाकर हथड़की सहित चेता को लेकर फरार हो गया। शिवचरण व लड़खड़ा रहे अन्य कांस्टेबलों ने उनका पीछा किया। सोनू ने उन पर खुद के पास रखे कट्टे व पिस्टल से फायर किया। जवाब में शिवचरण ने भी हवाई फायरिंग की।
उसकी गोलियां भी खत्म हो गईं। इस बीच कैदी चेता ने चिल्लाकर बताया कि सोनू मर गया है। एसपी का कहना है कि चेता ने पूछताछ में बताया कि सोनू ने खुद को गोली मारी थी। हालांकि, इस मामले का खुलासा उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही होगा। सोनू की करौली जेल से 2010 में भागने का प्रयास करने तथा चेता की ज्यादती के मामले में पेशी थी।
चारों कांस्टेबल अस्पताल में
कैदियों के साथ खाना खाने से बेहोश हुए चारों कांस्टेबलों को करौली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से उन्हें जयपुर रैफर कर दिया गया। ये अचेत होने के कारण वे बयान नहीं दे पाए।
पुलिस सच्ची या झूठी?
>कैदी सोनू को जेल से पेशी पर लाया गया था, रास्ते में उसके पास हथियार कहां से आए?
>सोनू जब पुलिस हिरासत से भाग गया तो उसने खुद को गोली क्यों मार ली?
>कांस्टेबलों के साथ खाना खाने के बावजूद सोनू व दूसरे कैदी को बेहोशी क्यों नहीं आई?
पहले भी भागने की कोशिश
सोनू ने पेशी से लाते समय अप्रैल 2010 में करौली जेल के बाहर फायरिंग कर भागने का प्रयास किया था। उसे परिजन देशी कट्टा दे गए थे। नवंबर 2006 में उसने हिंडौन में बैंक ऑफ बड़ौदा के कैशियर की हत्या कर 10 लाख रु. तथा 2004 में रोडवेजकर्मी पर फायरिंग कर साढ़े तीन लाख रु. लूटे थे।
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