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22 अक्तूबर 2011

कैद में बचपन, मासूम की चीख सुन सहम जाता है आस-पड़ोस!

इंदौर।बाबू मुराई कॉलोनी में एक मासूम बच्ची का बचपन कैद है। उस पर जुल्म ढहाए जा रहे हैं। उसके चेहरे और हाथ-पैरों के जख्म इसकी तस्दीक करते हैं। बच्ची की चीखें सुनकर आस-पड़ोसी तक सहम जाते हैं।

मामला 12 वर्षीय बच्ची संजना का है। संजना को अपनी बेटी बताने वाली उर्मिला और केबी मायावंशी गुजरात के रहने वाले हैं। केबी सीआईएसएफ में पदस्थ हैं। उनके तीन कमरे के घर में संजना को कैद कर रखा जाता है। कभी उसे किचन में कैद किया जाता है तो कभी कमरे में।

पड़ोसियों की मानें तो यहां दिन-रात बच्ची की चीख सुनाई देती है। उर्मिला उसे लात-घूंसों से पीटती है। उसके बाल पकड़कर सिर दीवारों से ठोंक दिया जाता है। पड़ोसी विरोध करने जाते हैं तो उर्मिला का जबाव होता है कि वह मेरी बेटी है। मैं उसे कुछ भी करूं। रहवासियों ने कई बार एरोड्रम पुलिस को शिकायत की लेकिन बच्ची आज भी जुल्म सह रही है।

चुपके से देते हैं बच्ची को खाना

पड़ोसियों ने बताया हमें बच्ची की सूरत देखने को नहीं मिलती। गली के सभी बच्चे बाहर खेलते हैं लेकिन तीन साल में कभी उसे बाहर नहीं देखा। पड़ोसी ने यह भी बताया बच्ची को कमरे में बंदकर रखा जाता है। उसे भूखा रखा जाता है। ठंड हो या बरसात, बच्ची फर्श पर सोती है। कई बार उसे खिड़की से कंपकंपाते हुए देखा। वह बोरे को ओढ़ती है। उसे पंजे के बल कूदने की सजा दी जाती है। हमने कई बार उसे छुपते-छुपाते खिड़की से रोटी दी है।

नहीं टूटी मासूम की खामोशी

किराए से मकान देखने के बहाने भास्कर संवाददाता शुक्रवार को जैसे-तैसे फोटोग्राफर के साथ उक्त घर में दाखिल हुए, तब संजना कोने में सहमी बैठी थी। उर्मिला का ध्यान भटकते ही बच्ची से बात की तो वह पहले हिम्मत नहीं जुटा पाई, लेकिन उर्मिला को दूसरी ओर पाया तो कहने लगी वह मुझे बहुत मारती है। उससे पूछा कि यह तुम्हारी मम्मी है तो वह कुछ बोली नहीं। अन्य बातें पूछने पर भी वह चुप रही।

मां नहीं कहती है इसलिए गुस्सा आता है

उर्मिला का कहना है कि वह मेरी बेटी है। उसकी तबीयत खराब रहती है इसलिए उसे जख्म हो गए हैं। उसके सिर के बाल उखड़ गए जिसका इलाज चल रहा है। हम उसे अच्छे से रखते हैं। उर्मिला ने पड़ोसियों को यह भी बताया कि संजना बचपन से मेरी जेठानी के घर रही थी। वह हमें भूल गई है और मुझे मां नहीं कहती इसीलिए मुझे गुस्सा आता है

पुलिस की कोरी कार्रवाई

इस मामले में एरोड्रम पुलिस को सूचना दी तो वह सुस्त दिखी। फिर एसएसपी ए.साईं मनोहर को शिकायत की गई तो उनके निर्देश पर टीआई बीएल मीणा टीम के साथ उर्मिला के घर पहुंचे। उन्होंने उर्मिला के बयान लिए और लौट गए। पुलिस ने न तो बच्ची से अलग बात की और न ही उसका मेडिकल चेकअप किया। पड़ोसियों से भी पूछताछ की।

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