
वे मानते हैं कि ईमेल और एसएमएस के युग में प्रेमपत्र लिखने की कला को बचाया जाना चाहिए। 1985 में शुरू हुई यह स्पर्धा पहले हर साल होती थी, पर अब हर पांच साल में होती है। इसमें 16 से 65 वर्ष तक के लोग भाग ले सकते हैं। पिछली स्पर्धा 2010 में हुई थी।
वे अपने दिल के उद्गार काव्यात्मक भाषा में व्यक्त करना सिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने ‘बुक ऑफ लव लैटर्स’ लिखी है। उन्होंने हार्ट क्लब और हृदय मित्र संस्थान की स्थापना भी की है। वे दिल के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता फैलाते हैं।
दिल के दौरे में पिता की मृत्यु के बाद 1994 में उन्होंने मात्र एक हजार रु. की पूंजी के साथ हृदय मित्र संस्थान की स्थापना की थी। वे 4,000 से ज्यादा लोगों की बाइपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी टलवा चुके हैं, जो बिना ऑपरेशन सेहतमंद जिंदगी जी रहे हैं।
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