इसमें कुछ विशेष प्रकार के विद्युत सेंसर नाक में लगाए जाएंगे जिससे सांस लेते समय ऊर्जा पैदा होगी। इस तकनीक को लेकर एक रिपोर्ट एनर्जी एंड एनवायरमेंटल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है।
कैसे पैदा होगी बिजली
वैज्ञानिकों ने एक खास ‘माइक्रोबेल्ट’ बना ली है जो हल्की सी भी हवा के गुजरने से कंपन करती है। इंजीनियरों की टीम के प्रमुख प्रोफेसर जूडॉन्ग वांग ने बताया कि पॉलीविनायलीडीन फ्लोराइड (पीवीडीएफ) यंत्र मामूली से यांत्रिक दबाव से ऊर्जा का उत्पादन करने लगती हैं।
ञ्चइस प्रक्रिया को पीजोइलेक्ट्रिक इफेक्ट कहते हैं। वांग के मुताबिक शरीर के किसी भी हिस्से में जहां पर यांत्रिक दबाव का क्षेत्र बनता है वहां पर इस तकनीक का प्रयोग कर बिजली पैदा की जा सकती है।
माइक्रोवॉट में पैदा होगी बिजली
नाक और चेहरे पर लगाई जाने वाली ये तकनीक माइक्रोवाट में बिजली पैदा करेंगे। जिन्हें नैनो टेक्नोलॉजी आधारित प्रक्रिया से बनाए गए छोटे-छोटे जनरेटर कहीं भी सप्लाई कर सकते हैं। इतना ही नहीं इससे मेडिकल साइंस में चमत्कार होगा। आदमी की धड़कन, ब्लड प्रेशर, शुगर, पेसमेकर बैटरी की स्थिति का सही-सही पता चल सकेगा। पेसमेकर बैटरी तो चार्ज भी हो जाएगी, उसे बदलने का झंझट खत्म होगा और खर्चा भी बचेगा।
भविष्य में और प्रयोग
इस तकनीक के सफल होने के बाद शरीर में खून के प्रवाह, गति, शरीर के तापमान आधारित नई विद्युत उत्पादन प्रणालियां बनाई जाएंगी। क्योंकि पीवीडीएफ शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता, और यह एक बेहद छोटा उपकरण है, जो शरीर में कहीं भी लगाया जा सकता है, जिसका मनुष्य को पता भी नहीं चलेगा।
बहुत सुन्दर सार्थक जानकारी| धन्यवाद||
जवाब देंहटाएंनाक' से पानी की सप्लाई तो सुनते थे मगर,
जवाब देंहटाएंउससे अब 'बिजली' भी पैदा हो रही है आजकल,
'बांध' एक चेहरे पे भी कुदरत ने बाँधा दोस्तो,
चलते-फिरते 'पावर हाऊस्' बन रहे है आजकल.
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