जब-जब धर्म की हानि होती है ईश्वर अवतार लेकर अधर्म का अंत करते हैं। इस बात से सत्य और अच्छे कर्मों को अपनाने के सूत्र के साथ पौराणिक मान्यताओं में अलग-अलग युगों में जगत को दु:ख और भय से मुक्त करने वाले ईश्वर के अनेक अवतारों के प्रसंग बताए गए हैं। शास्त्रों की इन बातों में युग के बदलाव के साथ प्राणियों के कर्म, विचार व व्यवहार में अधर्म और पापकर्मों के बढऩे के भी संकेत दिए गए हैं।
इसी कड़ी में सतयुग, त्रेता, द्वापर के बाद बताया गया है कि कलियुग में अधर्म का ज्यादा बोलबाला होगा। जिसके अंत के लिए भगवान विष्णु का कल्कि रूप में दसवां अवतार होगा। रामचरित मानस में भी कलियुग में फैलने वाले अधर्म का वर्णन मिलता है।
आज के दौर में भी व्यावहारिक जीवन में आचरण, विचार और वचनों में दिखाई दे रहे सत्य, संवेदना, दया या परोपकार जैसे भावों के अभाव से आहत मन अनेक अवसरों पर कलियुग के अंत और कल्कि अवतार से जुड़ी जिज्ञासा को और बढ़ाता है।
हिन्दू धर्मग्रंथ भविष्य पुराण में अलग-अलग युगों की गणना व अवधि बताई गई है। इस आधार पर जानते हैं कलियुग की अवधि कितनी लंबी या शेष है?
पुराण के मुताबिक मानव का एक वर्ष देवताओं के एक अहोरात्र, यानी दिन-रात के बराबर है। जिसमें उत्तरायण दिन व दक्षिणायन रात मानी जाती है। दरअसल, एक सूर्य संक्रान्ति से दूसरी सूर्य संक्रान्ति की अवधि सौर मास कहलाती है। मानव गणना के ऐसे 12 सौर मासों का 1 सौर वर्ष ही देवताओं का एक अहोरात्र होता है। ऐसे ही 30 अहोरात्र देवताओं के एक माह और 12 मास एक दिव्य वर्ष कहलाता है।
देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों की मानव सौर वर्षों में अवधि इस तरह है -
सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)
इस तरह सभी दिव्य वर्ष मिलाकर 12000 दिव्य वर्ष देवताओं का एक युग या महायुग कहलाता है, जो चार युगों के सौर वर्षों के योग 43,200,000 वर्षों के बराबर होता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 अक्टूबर 2011
इन आंकड़ों से जानें कि कलियुग के अंत में कितने साल हैं बाकी..!
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