ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य 16 नवंबर तक तुला राशि में नीच का रहेगा। इसके अगले दिन सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के साथ ही विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। विवाह का अबूझ सावों देवउठनी ग्यारस 6 नवंबर है।
आचार्य भूपेंद्र शास्त्री के अनुसार इस दिन विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त रहता है। ग्यारस शाम 3 बजकर 48 मिनट तक रहने के कारण विवाह कम संख्या में होंगे। करीब एक महीने तक शादियों की धूम रहने के बाद फिर एक महीने के लिए शहनाई की गूंज थम जाएगी।
विवाह के मुहूर्त
>17 नवंबर से 15 दिसंबर तक
>15 जनवरी से 28 फरवरी तक
>8 मार्च से 14 मार्च तक
अबूझ सावे के मुहूर्त
>देव उठनी ग्यारस - 6 नवंबर
>बसंत पंचमी - 28 जनवरी
>फुलरिया दूज - 23 फरवरी
>अक्षय तृतीय - 24 अप्रैल
गृहस्थ जीवन के लिए त्रिबल आधार
विवाह मुहूर्त में वर व कन्या के गृहस्थ जीवन में सुखों की कामना के लिए चंद्र, सूर्य, गुरु बल को आधार माना जाता है। इसे त्रिबल विवाह शुभ मुहूर्त कहते हैं। इनमें एक ग्रह के कमजोर होने की अवस्था में विवाह मुहूर्त खंडित कहा जाता है। देवउठनी ग्यारस के बाद 16 नवंबर की रात्रि को 11 बजकर 10 मिनट में सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करते ही त्रिबल विवाह मुहूर्त शुभ माना जाएगा।
मलमास में रहेगीशादियों पर रोक
16 दिसंबर से 14 जनवरी तक मलमास रहेगा। इस अवधि में विवाह आयोजनों पर पूरी तरह से रोक रहेगी। मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी से विवाह शुरू होंगे, जो 28 फरवरी को होलाष्टक शुरू होने तक जारी रहेंगे। होलाष्टक 8 मार्च को समाप्त होगा। इसके बाद विवाह मुहूर्त केवल 14 मार्च तक ही रहेंगे, फिर अक्षय तृतीया से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।
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