इस्लामाबाद. अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है। इस कड़वाहट के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन गुरुवार को दो दिन के दौरे पर पाकिस्तान पहुंच रही हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने क्लिंटन की इस यात्रा की पुष्टि कर दी है। माना जा रहा है कि अमेरिकी विदेश मंत्री उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान और अन्य आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर एक बार फिर से दबाव बनाने की कोशिश करेंगी। क्लिंटन ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह खत्म करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया में हर जगह आतंकवाद का मुकाबला करेगा चाहे वो पाकिस्तान में ही क्यों न हो।
क्लिंटन के साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख डेविड पेट्रॉस और सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्टिन डेम्प्सी भी पाकिस्तान आ रहे हैं। पाकिस्तान पहुंचने से पहले क्लिंटन ने लीबिया और अफगानिस्तान का अघोषित दौरा किया। वह बुधवार को काबुल पहुंचीं।
हिलेरी की यात्रा से ऐन पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अमेरिका को चेताया कि वह उत्तरी वजीरिस्तान में एकतरफा सैन्य कार्रवाई से पहले दस बार सोच ले। लेकिन इस धमकी से बेअसर नाटो ने पाकिस्तान को जवाबी चेतावनी दी है।
अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व में लड़ी जा रही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के सिलसिले में नाटो ने कहा है कि उनके सैन्य अभियान की जद में पाकिस्तानी सीमा भी है। नाटो ने अफगानिस्तान में सक्रिय एक आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है और कहा है कि अगले साल के शुरू तक यह अभियान पाकिस्तानी सीमा तक पहुंच सकता है।
नाटो ने पाकिस्तान को इस बात के खिलाफ भी आगाह किया है कि उसके क्षेत्र से आतंकवादियों को निशाना बनाए जाने के नाम पर नाटो व अमेरिका के सैनिकों पर हमले किए जा रहे हैं।
इस बीच, क्लिंटन की यात्रा को पाकिस्तानी मीडिया और सरकार अमेरिका-पाकिस्तान संबंध सुधारने की अमेरिकी कवायद के रूप में देख रहा है। लेकिन अमेरिका का साफ कहना है कि पाकिस्तान को उसके देश में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी, नहीं तो वह अपनी ओर से एकतरफा कार्रवाई शुरू कर देगा। इस यात्रा से पहले पाकिस्तान ने अमेरिका को उकसाने वाला बयान भी दिया है। उसका कहना है कि अमेरिका को मदद रोकनी है तो रोक ले। इससे पहले पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने कहा था कि अमेरिका पाकिस्तान को नसीहत देने के बजाय अफगानिस्तान में अपना ध्यान केंद्रित करे
लेकिन पाकिस्तान का यह बयान गीदड़भभकी से ज्यादा कुछ नहीं लग रहा है। हकीकत यह है कि अपने देश में लगातार हो रहे ड्रोन हमलों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में गुहार लगाने के संकेत देने काफी दिन बाद भी पाकिस्तान ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। एक महीना पहले मानवाधिकार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के सलाहकार ने कहा था कि सरकार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी ड्रोन हमलों के जरिए मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाएगी। पर अभी तक इसकी कोई औपचारिकता शुरू नहीं हुई है।
इस बीच, चीन के समर्थन से पाकिस्तान का उत्साह बढ़ा हुआ है। चीन हर मोर्चे पर पाकिस्तान का साथ दे रहा है। अब तो उसने संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के लिए भी पाकिस्तान को समर्थन देने का ऐलान किया है। पाकिस्तानी मीडिया ने गुरुवार को कहा है कि चीन के इस कदम से भारत घबराया हुआ है। गौरतलब है कि शुक्रवार को सुरक्षा परिषद का वार्षिक चुनाव होगा। हालांकि भारत इस साल ही परिषद का सदस्य बना है और 2012 तक बना रहेगा।
पाकिस्तान को समर्थन का संकेत देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता जियांग यू ने कहा, 'चीन पाकिस्तान के समर्थन के अनुरोध पर गंभीरता से विचार कर रहा है। चीन चाहता है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति बहाली व सुरक्षा में ज्यादा अहम भूमिका अदा करे।' सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य का चुनाव करने के लिए 21 अक्टूबर को बैठक होनी है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अक्तूबर 2011
अमेरिका ने चेताया- हमले की जद से बाहर नहीं पाकिस्तान, खत्म करे आतंकी ठिकाने
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