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16 अक्तूबर 2011

30 हजार में बिक रहा छत्तीसगढ़ के नागलोक का करैत


रायपुर। देश में सबसे ज्यादा सांपों की मौजूदगी को लेकर ख्यात जशपुर जिले के नागलोक से सांपों की तस्करी तेज हो गई है। हाल ही में पकड़े गए एक तस्कर ने नए खुलासे किए हैं। सांप की खाल और जहर को ये तस्कर नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचा रहे हैं। नागलोक में सांप की 40 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

सात सौ वर्ग किमी में फैले नागलोक में स्थानीय लोगों के अलावा मुंबई, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश के तस्कर भी सांपों की हत्या में जुटे हैं। मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी राम प्रकाश स्वीकारते हैं कि इलाके के सांपों की बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है। पिछले दिनों एक व्यक्ति को पकड़ा भी गया। वह बोरे में भरकर सांप ले जा रहा था। उससे तस्करी से जुड़ी कई जानकारियां मिली हैं। करैत 25 से 30 हजार में बिकता है। जबकि कोबरा के लिए 15 हजार रु. दिए जाते हैं। सांप की खाल का इस्तेमाल बेल्ट, ब्रेसलेट, पर्स आदि के निर्माण में होता है। जबकि उसका जहर भी दवाओं के लिए इस्तेमाल होता है। वन विभाग के अपर मुख्य सचिव नारायण सिंह का कहना है कि वे इस पूरे मामले की जांच करा रहे हैं।

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