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19 अक्तूबर 2011

200 सालों में बना यह 'भारतीय अजूबा' जिसे आज पूरी दुनिया करती है 'सलाम'!

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भोपाल. ऐतिहासिक स्मारकों की सूचि में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर अपनी अनोखी मूर्तिकला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। गौरतलब है कि यह मंदिर मध्य कालीन हिन्दू और जैन मंदिरों का समूह है जिसकी दीवारों पर इनके देवताओं को कामुक मुद्राओं में उकेरा गया है।


भारतीय पर्यटन स्थलों की सूचि में इसे सबसे लोकप्रिय स्थानों में गिना जाता है जहां सबसे ज्यादा पर्यटक जाना पसंद करते हैं। अपनी अनोखी मूर्तिकला की वजह से यह स्थल यूनेस्को के विश्व विरासत की सूचि में शामिल है जबकि भारत के सात अजूबों में भी इसे शामिल किया जाता है।


तथ्यों के मुताबिक खजुराहो चंदेल शासकों की सांस्कृतिक राजधानी थी और इन्होंने ही इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। कहते हैं इस मंदिर का निर्माण लगभग 200 सालों (950 to 1150 AD) तक चलता रहा। हालांकि इस स्थल के बारे में किसी ठोस ऐतिहासिक प्रमाण का आभाव है।


यह है कहानी


ऐसा माना जाता है कि मध्य काल के महान कवि 'चंदबरदाई' कि कालजयी रचना 'पृथ्वी राज रासो' में इस मंदिर के निर्माण से सम्बंधित एक घटना का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि काशी के राज वैध 'हेमराज' की एक विधवा पुत्री थी जो बेहद रूपवती थी। एक रात जब वह तालाब में नहा रही थी तो उसकी खूबसूरती पर स्वयं चन्द्र देव (चन्द्रमा) मोहित हो गए और पुरुष का रूप धर धरती पर प्रकट हुए और हेमराज कि विधवा पुत्री को सम्मोहित कर उसके साथ संसर्ग किया। उन्हें बाद में इस बात का एहसास हुआ कि एक विधवा के साथ ऐसा करना धर्म विरुद्ध है ।


इस कलंक से बचने के लिए उन्होंने उसे वरदान दिया कि पैदा होने वाला पुत्र इतना प्रतिभाशाली होगा कि वह उसके कुल का नाम अमर कर देगा। विधवा ने अपमान से बचने के लिए घर त्याग दिया और जंगल में रहने लगी। यहीं उसने एक पुत्र को जन्म दिया चन्द्रमा कि संतान होने के कारण उसने बच्चे का नाम 'चन्द्रवर्मन' रखा। इस बालक ने 16 साल कि उम्र में ही शेर और चीतों को मौत के घाट उतार दिया। आगे चल कर वह राजा बना और उसी ने अपनी मां की इच्छानुसार 85 मंदिरों का निर्माण करवाया।

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