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12 सितंबर 2011

गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाने से इनकार, नरेंद्र मोदी ने लिखा- ईश्वर महान | Email Print Comment

नई दिल्‍ली. गुजरात दंगों के दौरान पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी हत्याकांड मामले में मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल राहत मिलती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में निचली अदालत ही फैसला करेगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुलबर्ग सोसायटी कांड की रिपोर्ट मजिस्‍ट्रेट के पास भेज दी जो इस पर फैसला लेंगे। यह रिपोर्ट एसआईटी जांच पर कोर्ट के सलाहकार की ओर से तैयार की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्‍त सबूत नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'भगवान महान हैं।'

सर्वोच्‍च अदालत के इस रुख को जहां भाजपा 'सत्‍य की जीत' बता रही है, वहीं कांग्रेस बता रही है कि इसे मोदी को क्‍लीन चिट समझने की भूल नहीं की जाए । गुजरात सरकार के प्रवक्‍ता जयनारायण व्‍यास ने कहा कि गुजरात दंगे के पीडि़तों को बहुत पहले ही न्‍याय मिलता, लेकिन एनजीओ/सामाजिक संगठनों ने अड़ंगा लगा दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह फैसला करे कि नरेंद्र मोदी के अलावा 63 अन्य लोगों पर 2002 में हुए गुजरात दंगे में मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं। इनमें मोदी के अलावा उनकी तत्कालीन कैबिनेट सदस्य, आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीके जैन, पी सतशिवम और आफताब आलम की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में जांच और मुकदमे की निगरानी नहीं करेगा। बेंच के फैसले के मुताबिक अब यह मजिस्ट्रेट पर निर्भर है कि मोदी या किसी और पर गुजरात दंगों के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के कार्रवाई न करने की शिकायत पर मुकदमा चलाना है या नहीं। बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की है। पीठ ने अदालत मित्र राजू रामचंद्रन और विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद व्यवस्था दी है। एसआईटी पहले ही गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट दे चुकी है। मामले की जांच में जुटी टीम के मुखिया रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी आर के राघवन ने कहा कि वो निचली अदालत को पूरा सहयोग करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विशेष जांच टीम (एसआईटी) को यह निर्देश भी दिया है कि वह अपनी रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट को सौंपे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जकिया जाफरी की तरफ से अगर कोई अर्जी ट्रायल कोर्ट को दी जाती है तो ट्रायल कोर्ट कानून के मुताबिक उस पर फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने आज का आदेश कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनाया है। जकिया ने अपनी याचिका में नरेंद्र मोदी के अलावा कई मंत्रियों, नौकरशाहों पर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि साल 2002 में अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में एहसान जाफरी समेत 69 लोग दंगाइयों के शिकार बन गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी और उनकी बेटी ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्‍हें निराशा हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता शीतलवाड़ इस फैसले को मोदी के लिए पूरी तरह राहत नहीं मान रही हैं और उनका कहना है कि यह न्‍याय की ओर एक बड़ा कदम है।
बीजेपी नेता और राज्‍यसभा सांसद बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी इस के मामले के चलते थोड़ी लाचार नजर आ रही थी लेकिन अब नरेंद्र मोदी राष्‍ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा प्रवक्‍ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मोदी को बदनाम करने की कोशिश 10 सालों से चल रही है। लेकिन हर बार मोदी बेदाग निकलते हैं।

क्‍या था पूरा मामला?
जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने नरेन्द्र मोदी सहित 62 महानुभावों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) को आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालांकि एसआईटी ने मुख्यमंत्री को क्लीनचिट दे दी थी।
इस आशय की खबरों के बाद पांच मई को अदालत ने अदालत मित्र को स्वतंत्र रूप से निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट की छायाप्रति देने की गुजरात सरकार की मांग खारिज कर दी थी। इसी साल अप्रैल में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। गोधरा कांड के बाद राज्य में भड़के सांप्रदायिक दंगों के समय पूर्वी अहमदाबाद में 2002 में हुए गुलबर्ग कांड में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित कई लोग मारे गए थे।

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