राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक सायन सूर्य तुला राशि में दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आएगा। ये शरद संपात भी कहलाता है। इसी को विषुवत दिन भी कहा जाता है।
इसके साथ ही सूर्य का दक्षिण गोल में जाना शुरू हो जाएगा। सूर्य के दक्षिण गोल में प्रवेश से दिन छोटे होने लगेंगे और रातें बड़ी होना शुरू हो जाएंगी। यह देवताओं की रात्रि का प्रारंभ माना जाता है अर्थात सांयकाल। और राक्षसों का प्रात:काल कहलाता है।
पं.बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक वर्ष में 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन-रात बराबर होते हैं। 21 जून को दक्षिणी ध्रुव सूर्य से सर्वाधिक दूर रहता है, इसलिए इस दिन सबसे बड़ा दिन होता है।
इसके बाद 22 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन की ओर प्रवेश करता है। इसलिए यह सबसे छोटा दिन होता है। खगोलविदों के मुताबिक 25 दिसंबर से दिन की अवधि बढ़ने लगती है।
यह है दक्षिण गोल
पृथ्वी की मध्य रेखा को भूमध्यरेखा या विषुवत रेखा कहा जाता है। सूर्य दक्षिण की ओर अग्रसर होता है तो दक्षिण गोल सूर्य कहलाता है। यदि सूर्य उत्तर की ओर जाता है तो उत्तर गोल कहलाता है।
दोनों की अवधियों का समय छह-छह महीने का होता है। डॉ.विनोद शास्त्री के अनुसार पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगा रही है और सूर्य ब्रह्माण्ड में परमेष्ठी मंडल (ब्लैक हॉल) के चक्कर लगा रहा है।
यह चक्कर 27 हजार वर्ष में पूर्ण होता है। इस बीच कभी-कभी अयनांश की गणना के कारण एक दिन आगे पीछे हो जाता है। इसी के चलते दिन-रात की बराबर अवधि कभी 22 को तो कभी 23 सितंबर को होती है।
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