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21 सितंबर 2011

प्रधानमंत्री को भेजी चिट्ठी में प्रणब मुखर्जी का आरोप- चिदंबरम ने होने दिया 2जी घोटाला


नई दिल्ली.पौने दो लाख करोड़ रुपए के 2जी घोटाले में अब गृहमंत्री पी. चिदंबरम का नाम भी शामिल हो गया है। उन पर आरोप विपक्ष या जांच एजेंसी सीबीआई ने नहीं बल्कि वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की ओर से लगाए गए हैं।

मुखर्जी की ओर से 25 मार्च 2011 को प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो 2जी घोटाला रोक सकते थे। लेकिन उन्होंने 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी। उन्होंने कहा - मैं अब एंट्री फीस या रेवेन्यू शेयरिंग की वर्तमान दरों को रीविजिट (समीक्षा) नहीं करना चाहता।

चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो स्पेक्ट्रम की पहले आओ, पहले पाओ की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी। 11 पन्नों की ये चिट्ठी आने वाले वक्त में चिदंबरम के लिए आफत का सबब बन सकती है। यह चिट्टी आरटीआई के तहत विवेक गर्ग ने हासिल की है। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्र्हाण्यम स्वामी ने बुधवार को यह पत्र सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच के समक्ष दस्तावेज के तौर पर पेश किया।

चिट्ठी का सच

25 मार्च 2011 को वित्त मंत्रालय में उपनिदेशक डॉ. पीजीएस राव ने पीएमओ में संयुक्त सचिव विनी महाजन को ये चिट्ठी भेजी थी। इसके कवरिंग लेटर में साफ लिखा है कि इसे प्रणब मुखर्जी पढ़ चुके हैं। इसका विषय था- 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और मूल्य निर्धारण।

राजा की मनमानी जिसे ठहराया ‘सही’

यह किया चिदंबरम ने...

पुरानी दरों पर ही स्पेक्ट्रमः 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी।

‘पहले आओ, पहले पाओ’ ही ठीकः पहले आओ, पहले पाओ की जगह ज्यादा कीमत पर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सकती थी।

अपने अफसरों की भी नहीं सुनीः वित्त मंत्रालय ने टेलीकॉम सेक्टर में ग्रोथ के अनुपात में फीस तय करने की बात की। राजा इससे सहमत नहीं थे। चिदंबरम ने विरोध नहीं किया।

लिमिट बढ़ाकर फायदा पहुंचायाः वित्त मंत्रालय 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर के स्पेक्ट्रम को बाजार भाव पर बेचना चाहता था। राजा ने यह सीमा 6.2 मेगाहट्र्ज कर दी। चिदंबरम इसी पर मान गए। लेकिन किसी भी कंपनी को 6.2 मेगाहट्र्ज से ऊपर स्पेक्ट्रम दिया ही नहीं गया।

ऐसे रोक सकते थे...

लाइसेंस की शर्ते बदल सकते थेः कंपनियों को दिए यूएएस लाइसेंस का प्रावधान 5.1 सरकार को लाइसेंस की शर्तो को किसी भी समय बदलने की इजाजत देता है। बशर्ते यह जनहित में हो या सुरक्षा के लिए जरूरी हो।

4 महीने थे सरकार के पासः सरकार के पास प्रावधान को लागू करने के लिए काफी समय था। लाइसेंस के चार महीने बाद स्पेक्ट्रम दिया।

..तो लागू होतीं नई दरेंः 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर की नीलामी वाले रुख पर कायम रहकर कंपनियों से नई दरों पर पैसे वसूले जा सकते थे।

किस पर क्या असर?

सरकार पर : घोटाले में द्रमुक कोटे के दो मंत्रियों (राजा और दयानिधि मारन) के इस्तीफे हो चुके हैं। द्रमुक अब चिदंबरम के इस्तीफे की मांग उठाएगा।

चिदंबरम पर: विपक्ष और खासकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता उनकी गिरफ्तारी और पद से बर्खास्तगी की मांग तेज करेंगी।

प्रणब मुखर्जी पर: यह पत्र खुद उनके मंत्रालय ने उनकी रजामंदी से लिखा है। ऐसे में पार्टी फोरम पर उनसे जवाब तलब किया जा सकता है।

आगे क्या?

- अदालत नए तथ्यों के आधार पर पीएमओ और चिदंबरम से स्पष्टीकरण मांग सकती है।

- विशेष जज संबंधित पत्रावली अदालत के सामने पेश किए जाने के आदेश दे सकते हैं।

- प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष का अभियान और तेज और तीखा होगा।


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