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20 सितंबर 2011

बात नहीं मानी गई तो ऐसा अनशन करूंगा कि पूरा झारखंड देखेगा'


रांची।आईएसएस अधिकारी सजल चक्रवर्ती ने रांची डीसी केके सोन पर फुटकल टोली जीएम लैंड खास पर पहले पंचायत भवन बनवाने और बाद में इसके राजनीतिकरण कराने का आरोप लगाया है। पूरे मसले में उन्होंने सोन की भूमिका को संदिग्ध बताया है। चक्रवर्ती ने घोषणा की कि, पहले मैं सभी संबंधित अधिकारियों के पास फरियाद करूंगा, यदि बात नहीं मानी गई तो ऐसा अनशन करूंगा कि पूरा झारखंड देखेगा। चक्रवर्ती मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

चक्रवर्ती ने कहा कि जीएम लैंड खास की बंदोबस्ती हो सकती है। वर्ष 1971 में भारत-बांग्लादेश युद्ध में शामिल रहे उनके भाई एसआर चक्रवर्ती को पैरालिसिस हो गया था। बाद में उसके नाम से 4.67 एकड़ जमीन बंदोबस्त की गई। ऐसे में इस जमीन पर पंचायत भवन कैसे बनाया गया। मान लिया जाए कि अगर ठेकेदार व जेई मिलकर भवन के योजना बना ली, तो डीसी क्या कर रहे थे, इसे रोका क्यों नहीं। अब पंचायत भवन हटाने के बजाए, मामले को राजनीतिकरण करवा रहे हैं।

डीजीपी तक जाऊंगा

सजल ने कहा कि वह मुख्य सचिव, डीजीपी, डीजी, राजस्व सचिव के पास फरियाद करेंगे और ड्राफ्ट सौंपेंगे। सुनवाई नहीं हुई तो ऐसा अनशन करेंगे कि पूरा झारखंड देखेगा। उन्होंने कहा कि मेरे सारे कागजात अप-टू-डेट हैं। पहले अधिकारियों के पास जाएंगे ताकि वे कानून, नीति-सिद्धांत के आधार पर काम करें, नहीं तो मैं कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाउंगा।

बंधु हाथ न डालें, जल जाएंगे

सजल ने कहा कि बंधु तिर्की से उनकी बात हुई है। बंधु मामले को समझें, इसके बाद हाथ डालें वरना जल जाएंगे। बंधु जी को मालूम होना चाहिए कि जीएम आम की बंदोबस्ती नहीं हो सकती है, जीएम खास की बंदोबस्ती हो सकती है। हर मामले में टांग अड़ाना बंद करें और भोले-भाले ग्रामीणों को न भड़काएं।

सजल की मांगें

* पंचायत भवन कैसे बनाया गया, इसकी जांच कराई जाए * पंचायत भवन तुरंत हटाएं और इसका पैसा ठेकेदार-अभियंता से वसूल करें * पूरे मामले में डीसी की भूमिका की जांच हो, सारे तथ्य जांचे जाएं * ग्रामीण बहकावे में न आएं, मामले की वास्तविकता समझें

यह शहीदों का अपमान है

सरकार और जिला प्रशासन देश के लिए अपनी जान देने वाले शहीद देशभक्तों का अपमान कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस समय सरकार जमीन बंदोबस्त कर दे रही थी, उस समय लोग कहां थे। जब किसी के नाम से बंदोबस्त जमीन में पंचायत भवन बन रहा था, उस समय डीसी कहां थे?

गैरमजरुआ जमीन पर पहला हक ग्रामीणों का

विधायक बंधु तिर्की ने सजल के आरोप व नसीहत पर कहा है कि उन्हें भी कानून की जानकारी है। किसी भी गैरमजरूआ जमीन पर पहला हक ग्रामीणों का होता है। गांव वाले ही निर्णय करेंगे कि उस जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। बंधु ने कहा कि सजल को बताना चाहिए कि क्या सेटलमेंट करने के पूर्व ग्रामीणों की सहमति ली गई थी। उलूल-जुलूल बोलने से कुछ नहीं होगा।

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