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19 सितंबर 2011

अफजल को हैरत, क्यों नहीं हो सका था कार बम विस्फोट

नई दिल्ली.तिहाड़ जेल के एक अधीक्षक ने 180 पन्नों के अपने दस्तावेज में कहा है कि संसद पर हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु के सामने यह सवाल अब भी बना हुआ है कि वर्ष 2001 में संसद पर हमले के दौरान इस्तेमाल कार में रखे गए बम में विस्फोट क्यों नहीं हुआ।

छह अध्यायों में विभाजित इस दस्तावेज की शुरुआत हमले की बातों के साथ ही होती है और इसका पहला अध्याय 13 दिसंबर के हमले की सारी बातें बयां करता है। द्विवेदी के अनुसार, इसका अंत पुलिस द्वारा अंतत: अफजल की गिरफ्तारी के साथ होता है। द्विवेदी ने अपने दस्तावेज में लिखा, ‘उसे भरोसा था कि जिस कार में आईईडी लगाया गया है उसमें विस्फोट होगा। गुरु ने बताया कि उसने बमों और विस्फोटकों से लदी कार को हमले की पूर्ववर्ती रात को पुलिस के सामने इस डर से खड़ा कर दिया कि इसे चोरी किया जा सकता है। आश्चर्य की बात है कि किसी पुलिसकर्मी ने इसकी जांच नहीं की।’

द्बिवेदी को तिहाड़ के अधिकारियों ने यह दस्तावेज पुस्तक के तौर पर प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी है। जिसके अनुसार, ‘13 दिसंबर 2001 को हमले में इस्तेमाल कार बम फटा नहीं और अफजल गुरु को आज तक इस बात का पता नहीं चला कि इसमें विस्फोट क्यों नहीं हुआ।’ द्विवेदी ने कहा, ‘यह दस्तावेज मार्च 2009 से दिसंबर 2010 के बीच अफजल गुरु से मेरी 200 घंटे की बातचीत के बाद तैयार हुआ है।’

दस्तावेज के एक अध्याय में द्विवेदी ने अफजल के बचपन और उसके पाकिस्तान पहुंचने की भी कहानी लिखी है। उन्होंने लिखा है, ‘मैंने अपनी किताब में उन सभी वजहों का जिक्र किया है जो अफजल ने पाकिस्तान आने के लिए और अन्य आतंकवादियों की तरह प्रशिक्षण लेने के लिए बताई हैं।’ द्विवेदी के मुताबिक, ‘वह वापस आया और उसे लगा कि उसे इस्तेमाल किया जा रहा है और वह यह सब छोड़कर सामान्य जीवन जीने लगा।’

उन्होंने लिखा,‘उसने एमबीबीएस के पहले साल की पढ़ाई पूरी की। आईईएस परीक्षा की भी तैयारी की।’ द्विवेदी की किताब में अफजल के फिर से राष्ट्र विरोधी तत्वों की ओर लौटने के कारण भी गिनाए गए हैं। इसमें लिखा है कि अफजल की काफी पीढ़ियों पहले उसका परिवार ब्राrाण जाति से ताल्लुक रखता था जिसने इस्लाम अपनाया था।

द्विवेदी ने कहा,‘एक अध्याय अफजल गुरु पर लिखा गया है कि उसने कैसे हमले की साजिश रची। विस्फोटक और आरडीएक्स ग्रेनेड तथा चीनी पिस्टल और अन्य चीजें कैसे जुटाईं और पकड़ा नहीं गया। उसने किस तरह संसद का मुआयना करने के लिए उन लोगों के दिल्ली में रहने का बंदोबस्त किया जो भारतीय नहीं थे और कोई भारतीय भाषा नहीं समझते थे।’

यदि संसद पर दिसंबर, 2001 के आतंकवादी हमले में सफलता मिलती तो मैं जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाता और सरकार के साथ बातचीत होती।

जैसा तिहाड़ के जेल नंबर-3 में बंद अफजल गुरु ने जेल अधीक्षक मनोज द्विवेदी से कहा

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