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19 सितंबर 2011

दो दिन बाद रात में वक्री होगा प्रकृति का स्वामी बुध

कोटा.प्रकृति का स्वामी बुध ग्रह गुरुवार से वक्री हो जाएगा। ज्योतिषियों की मानें तो ऐसा 20 वर्षो बाद होगा, जब बुध ग्रह पश्चिम दिशा को छोड़कर अपने तीसरे चरण पूर्व दिशा में प्रवेश कर आगे बढ़ने लगेगा।

गोचर ग्रहों की चाल के आधार पर इस बार बुध अपने 57वें अंश में शनि ग्रह के अंश में वक्री होगा। इसी के साथ शनि ग्रह पश्चिम दिशा में विनाशकारक सिद्ध होगा।

8 दिसंबर से लगभग तीन माह बाद बुध ग्रह वापस सीधी चाल चलने लगेगा। इस बीच ऐसे अनेक योग बनेंगे, जब ग्रह सौम्य कहलाने वाला बुध ग्रह अपने प्रभाव से प्रकृति जगत में अनुकूलता लाएगा।

यह रहेगा प्रभाव

>महामारी फैलने की आशंका बनी रहेगी।

>पश्चिमी सीमा में आतंकवादी हमले और भूकंप आने के आसार।

>महिलाओं को विशेष कष्ट होगा।

>सरकारी सेवा के बड़े अधिकारियों में बदलाव।

>सोने में मंदी, चांदी व लोहे में तेजी होगी।

>राजनैतिक महकमें में बदलाव आएगा।

>अधिक जल वर्षा से विनाश की संभावना।

ये राशियां प्रभावित

>इनको विशेष लाभ

कन्या, तुला, वृष, मिथुन

>शारीरिक पीड़ा कारक

मेष, मीन, कर्क, धनु

>पदोन्नति, नुकसानदायक

सिंह, कुंभ, मकर

कुप्रभाव से बचने का यह करे उपाय: दुष्प्रभाव से बचने के लिए गणपतिजी को खस का इत्र एवं दूब के तिनके चढ़ाने से विशेष लाभ होगा।

मां दुर्गा की आराधना एवं बहते हुए पानी में गुलाब के पुष्प बहाना विशेष फलदायी होगा।

कोटा में हवाई सेवा के संकेत

कोटा सहित संपूर्ण हाड़ौती का अधिपति ग्रह बुध हैं। ज्योतिषाचार्य भूपेन्द्र शास्त्री के अनुसार 20 वर्षो बाद बुध ग्रह का पूर्व दिशा में आना, शनि ग्रह का पश्चिम दिशा में मुंह होना और शुक्र ग्रह का मध्य में निवास करना कोटा में हवाई सेवा के चालू होने के लिए शुभ संकेत कारक माना जा रहा हैं।

सात साल बाद 8 दिन की नवरात्र

शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व नवरात्रि इस बार आठ दिन का होगा। नवरात्रि पर्व 28 सितंबर से शुरू होकर 5 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस बार तृतीया तिथि क्षय हो रही है। द्वितीया व तृतीया तिथि एक ही दिन रहेगी।

मां जगदंबा के भक्तों को 29 सितंबर को देवी ब्रह्मचारिणी और चंद्रघंटा की आराधना एक ही दिन करना होगी। यह संयोग सात साल बाद आ रहा है, जो दो साल लगातार रहेगा।

2012 में चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ दिनों की रहेगी। आचार्य भूपेंद्र शास्त्री के मुताबिक इसके बाद यह संयोग छह साल बाद 2018 में फिर आएगा। तब द्वितीया तिथि का क्षय होने से प्रथम और द्वितीया तिथि एक साथ मनाई जाएगी।

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