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09 सितंबर 2011

केंद्र में पीएम, राज्य में सीएम तो मेयर सर्वेसर्वा क्यों नहीं?

जयपुर.ऑल इंडिया मेयर काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में शनिवार से जुट रहे देशभर के मेयरों की मांग है कि नगर निगमों को शहरी सरकार का दर्जा दिया जाए।

मेयरों का कहना है कि केंद्र में पीएम, राज्य में सीएम सर्वेसर्वा हैं तो लोकल गवर्नमेंट में मेयरों को पावर क्यों नहीं दिए जा रहे? शहरों में बिजली, पानी वितरण से लेकर ट्रांसपोर्ट, डवलपमेंट अथॉरिटीज जैसी संस्थाएं नगर निगम के अधीन आएं। इससे आपस में तालमेल तो रहेगा ही प्रोजेक्ट भी समय पर पूरे हो सकेंगे।

वे चाहते हैं कि मेयर के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों में बढ़ोतरी हो। कोलकाता व मुंबई की तर्ज पर सभी निगमों में 74वां संविधान संशोधन लागू हो। बैठक होटल क्लार्क्‍स आमेर में सुबह 10 बजे से होगी।

बोर्ड के अलावा मिले विशेष अधिकार

मेयर इन काउंसिल बन जाए तो मेयरों को उनकी शक्तियां मिल सकती हैं। विशेष अधिकार मिलने चाहिए ताकि मेयर को बोर्डकी बैठक का इंतजार नहीं करना पड़े।मेयर के पास वित्तीय अधिकार अधिक रहेंगे तो वह बोर्ड की बैठक के इंतजार में नहीं रहेगा। सिटी डवलपमेंट से जुड़ी एजेंसियां नगर निगम के अधीन होनी चाहिए।

-बलजीत सिंह, मेयर, भटिंडा

निगम का काम एजेंसिंयों को क्यों?

दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट, वाटर सप्लाई, दिल्ली इलेक्ट्रिक सप्लाई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अंडर टेकिंग में हैं। जो काम नगर निगम को करना चाहिए वह अन्य एजेंसियों को नहीं दिया जाना चाहिए। मेयर के अधीन जो अफसर काम करें उसकी एसीआर भरने का अधिकार तो उसे मिलना ही चाहिए।

-योग ध्यान आहूजा, आल इंडिया मेयर काउंसिल के सचिव व पूर्व मेयर दिल्ली।

निगम को मिले शहरी सरकार का दर्जा

बोर्ड के पास तो सभी पॉवर मौजूद हैं लेकिन रोजाना बोर्ड की बैठक नहीं हो सकती। इसलिए मेयर के पास अलग से कुछ वित्तीय अधिकार हों। नगर निगम को शहरी सरकार का दर्जा दिया जाए तभी तो विश्व स्तरीय शहर बनाए जा सकेंगे।

-सुमन श्रृंगी, प्रथम लेडी मेयर राजस्थान।


ये हैं मेयरों के पास अधिकार

75 लाख से 1 करोड़ तक के वित्तीय अधिकार

पीपीपी व बीओटी आधारित प्रोजेक्ट लैंडयूज चेंज करने का अधिकार

कार्यकारिणी समिति में आने वाले मामलों पर निर्णय का अधिकार

मृतक आश्रितों की भर्ती का अधिकार

नियमन, स्ट्रीप आफ लैंड व अभियोजन के मामले व बड़ी नीलामी की नीति निर्धारण का अधिकार

ये अधिकार मांगेंगे

>सीईओ की एसीआर भरने का अधिकार।

>वित्तीय अधिकारों में बढ़ोतरी हो।

>विशेष अधिकार हो ताकि जरूरी प्रस्ताव बोर्ड में जाए बिना ही पास हो।

>निगम सीमा क्षेत्र में जितनी भी संस्थाएं काम कर रहीं हैं वह सभी नगर निगम के अधीन हो।

>केंद्र से आने वाले प्रोजेक्ट व शहर से जुड़े प्रोजेक्ट पर अंतिम निर्णय नगर निगम का हो।

>समितियों के निर्णय के अनुमोदन का अधिकार मेयर को दिया जाए।

यहां हैं ताकतवर मेयर

हावड़ा में निगम ने चलाई मेट्रो

"जैसे-जैसे म्युनिसिपल कॉपरेरेशन का कार्यक्षेत्र बढ़ रहा है, उस हिसाब से मेयर के अधिकारों में बढ़ोतरी होनी चाहिए। कोलकात्ता में मेयर के पास कमिश्नर की एसीआर भरने का अधिकार है। हमने हावड़ा में राजघाट से हावड़ा सिटी तक मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट शुरू किया।"

- ममता जायसवाल, मेयर, हावड़ा (प. बंगाल)

चंडीगढ़ में वाटर सप्लाई निगम के हाथ में

"निगम को मजबूत बनाया जाएगा तभी शहर विश्व स्तरीय बन सकेंगे। चंडीगढ़ नगर निगम के पास प्राइमरी स्कूल, हैल्थ सेंटर, वाटर सप्लाई, हॉर्टिकल्चर व इंफोर्समेंट के कार्य है। राज्य सरकार 74वें संविधान संशोधन को बेहतर तरीके से लागू करें तो मेयर अपने आप ही पॉवरफुल हो जाएंगे।"

-रवींद्रपालसिंह, मेयर, चंडीगढ़

एक्सपर्ट व्यू: सरकार कर रही है पावरलेस

1992 में 74वां संविधान संशोधन लागू हो गया लेकिन राज्य सरकारें संविधान के अनुसार नगर निगमों को अधिकार नहीं दे रहीं। संविधान के अध्याय 9क के तहत मेयर को सर्वाधिकार प्राप्त हैं, जबकि गवर्नमेंट नए नियम व आदेश जारी कर अधिकारियों की शक्तियां बढ़ा रही हैं।मेयर को पावरलेस किए जाने से इनके सीधे चुनाव का औचित्य ही समाप्त हो गया है। सरकार सारी शक्तियां अपने पास रखना चाहती हैं।जेडीए, हाउसिंग बोर्ड, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, वाटर सप्लाई, बिजली सप्लाई तथा हेल्थ व शिक्षण संस्थाएं जो नगर निगम की सीमा में हैं उन्हें नगर निगम के अधीन रखा जाना चाहिए।

-जेपी गर्ग, रिटायर्ड कमिश्नर, जयपुर नगर निगम।

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