भोपाल।मध्यप्रदेश के बच्चे देशभर में वजन में सबसे कम और शारीरिक रूप से भी सबसे कमजोर हैं। केंद्र सरकार द्वारा बीते सप्ताह एनीमिया और कुपोषण पर जारी आंकड़ों से यह शर्मनाक खुलासा हुआ है।
प्रदेश के 60% बच्चे अंडरवेट (सामान्य से कम वजन) बताए गए हैं। इसके बाद झारखंड 56.6 और बिहार 55.9% के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। दुर्भाग्य यह भी है कि बच्चों के विरुद्ध अपराध के मामले में भी मप्र देश में पहले पायदान पर है।
केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुपोषण के कारण मप्र के बच्चों में बीमारी से लड़ने का माद्दा बहुत ही कम है। प्रदेश में 1.6% बच्चे टीकाकरण न होने के कारण मर जाते हैं और इसके की क्षमता कुपोषण से। वहीं, एनसीआरबी द्वारा 2009-10 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में बच्चों के विरुद्ध हुए अपराधों के 4646 प्रकरण दर्ज हुए थे, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद उप्र (3085) और महाराष्ट्र (2894) का नंबर आता है।
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान मप्र में 1071 बालिकाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं हुईं। यह देश में हुई इन घटनाओं का 20 प्रतिशत थी। उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा बाल विवाह भी मप्र में ही होते हैं। इसके अनुसार मप्र में लगभग 70 प्रतिशत बालिकाओं का विवाह 18 वर्ष के पहले हो जाता है। ये सभी आंकड़े मप्र में बच्चों एवं महिलाओं से संबंधित चल रहे विभिन्न कल्याणकारी कार्यो पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। खासतौर से ऐसे समय में जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 5 अक्टूबर से बेटी बचाओ अभियान प्रारंभ करने जा रहे हैं।
अंडरवेट माने क्य
जन्म के समय बच्चा यदि 2.5 किलो से कम है तो वह अंडरवेट कहलाता है।
ये हैं प्रदेश के हाल
> 60% बच्चे सामान्य से कम वजन के
> 1.6% बच्चे टीकाकरण न होने से मर जाते हैं
> 70% बालिकाओं की शादी 18 साल से पहले
> 1071 घटनाएं हुईं बालिकाओं से बलात्कार की
> 4646 बच्चों के विरुद्ध किए गए अपराध के प्रकरण दर्ज (देश में सबसे ज्यादा)।
ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति
23 अगस्त 2011 को महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल द्वारा जारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, हैदराबाद की रिपोर्ट में मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 82 फीसदी बच्चे कम वजन के पाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा सतना में 67 फीसदी और सबसे कम विदिशा में 34 फीसदी बच्चे अंडरवेट हैं।
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