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29 सितंबर 2011

विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला शुरू

अमृतसर. शीश पर लगी टोपी में चमकते शीशे.., बदन पर लाल रंग की पोशाक पर लगी सफेद गोटा किनारी.., हाथ में लाल रुमाल युक्त छड़ी.. और पैरों में छम-छम बजते घुंघरु..। बुधवार को ऐसे ही स्वरूप में हजारों लंगूर बने बच्चे श्री दुग्र्याणा मंदिर के श्री बड़ा हनुमान मंदिर के प्रांगण में ढोल की थाप पर नाचते नजर आए। जय श्री राम, जय बजरंगबली, जय श्री हनुमान के जयघोष से गूंजे मंदिर परिसर में हर ओर यही नजारा था।

शारदीय नवरात्रों में हर वर्ष लगने वाले विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले के पहले दिन सुबह हजारों परिवार अपने बच्चों के साथ मंदिर पहुंचे। पवित्र सरोवर में दही आदि से स्नान करवाने के बाद ब्राrाणों ने बच्चों से पूजन करवाकर लंगूर की पोशाक धारण करवाई। उसके बाद परिजनों बच्चों के साथ श्री हनुमान जी के दरबार में माथा टेका।

श्रद्धालुओं को दरबार में पहुंचने के लिए घंटों लाइन में इंतजार करना पड़ा। वेद कथा भवन से लेकर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक लगी लंबी लाइन उनकी आस्था का प्रतीक रही। देर शाम अनेक अखाड़ों से जुड़े युवा भी लंगूर के वेश में माथा टेकने मंदिर पहुंचे। मंदिर कमेटी के प्रधान सतपाल महाजन, महासचिव रमेश शर्मा, सचिव हरीश तनेजा, श्री गिरिराज जी सेवा संघ के प्रधान संजय मेहरा के अनुसार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर प्रबंध किए गए हैं।

छह माह से 40 साल तक के बने लंगूर

मेले में ज्यादातर बच्चे लंगूर मन्नत पूरी होने पर बने थे, जबकि कई युवा ऐसे भी थे, जो हर साल श्रद्धा के साथ लाल चोला पहनकर हनुमान जी के समक्ष हाजिरी भरते हैं। आज सुबह कई बच्चे ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी आंखें भी नहीं खोली थी। माता-पिता ने उनको अपनी गोद में उठाकर माथा टिकवाया तो कई युवाओं की टोली नाचते-गाते दरबार में पहुंचे।

दशहरे तक चलेगा मेला

सैकड़ों सालों से लगने वाला यह मेला दशहरा तक चलेगा। लंगूर बने बच्चे सुबह और शाम परिजनों के साथ माथा टेकेंगे। एकादशी के दिन सभी बच्चे मंदिर में वस्त्र उतारेंगे। मेले में अमृतसर ही नहीं, दिल्ली, रोपड़, देहरादून, जालंधर, जम्मू आदि शहरों से भी लोग पहुंचे।

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