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18 सितंबर 2011

यहां होता है दुनिया भर के लोगों का श्राद्ध

कोटा.अपने पूर्वजों के लिए तो सभी श्राद्ध करते हैं, लेकिन इस शहर में गैरों के लिए भी श्राद्ध किया जाता है। भले ही अजीब लगेे, लेकिन 11 साल पहले शुरू हुआ यह प्रयास अब परंपरा का रूप ले चुका है। इसमें परिचित या सगे-संबंधी नहीं, बल्कि देश के महापुरुष, साहित्यकार, लेखक, विचारक, स्वाधीनता सैनानी से लेकर अकाल मौत और प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हुए लोगों तक का श्राद्ध पूरे विधि-विधान से किया जाता है।

16दिन के श्राद्ध पक्ष की क्रिया और कर्मकांड निशुल्क है। कर्मकांड का खर्च शहर के कर्मयोगी सेवा संस्थान के 25 सदस्य वहन करते हैं। संगठन के संस्थापक अध्यक्ष राजाराम जैन कर्मयोगी बताते हैं कि वर्ष २००० में शुरू यह प्रयास बदस्तूर जारी है।

सौ गरीबो को भी भोजन कराते हैं :

पितृ-दोष से मुक्ति का 16 दिवसीय श्राद्ध पर्व 12 सितंबर से शुरू हुआ है, जो 27 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान पितरों का श्रद्धापूर्वक ध्यान कर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती हैं। ब्राह्मण भोज, गाय भोज, श्वान भोज, अग्निभोज व काग भोज के साथ हर रोज 100 गरीबों को भोजन कराते हैं।

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