भोपाल।उसने अभी उम्र के महज ग्यारह महीने देखे थे, लेकिन लंबी बीमारी ने उस मासूम की जिंदगी छीन ली। क्या पता था कि उसके नसीब में मौत के बाद भी सुकून नहीं लिखा है। मौत के बाद परिजनों ने उसे दफन कर दिया और जब अगले दिन उसकी कब्र पर फूल चढ़ाने गए तो बच्ची की लाश गायब थी।
अब यह सनसनीखेज मामला कमला नगर पुलिस के हवाले है। पुलिस ने इस मामले में शव के अपमान की धारा में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में किसी तांत्रिक का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया है।
रोशनपुरा झुग्गी में बूदिया भोई नाम के शख्स का परिवार रहता है। पेशे से मजदूर बूदिया की 11 महीने की बच्ची अर्चना की बीमारी (पीलिया) के चलते मंगलवार शाम मौत हो गई। बुधवार सुबह तकरीबन 11 बजे परिजनों ने मासूम की लाश भदभदा विश्राम घाट के पीछे वाले हिस्से में दफना दी। अगले दिन जब अर्चना के चाचा संतोष और राजू भतीजी की कब्र पर फूल चढ़ाने गए तो शव वहां से गायब था। काफी तलाश की, लेकिन शव का पता नहीं चला।
इंसान ने निकाली है लाश
मौके पर पहुंचे सब इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा का दावा है कि कब्र खोदने वाला कोई जानवर नहीं, बल्कि इंसान ही होगा। वजह यह भी है कि कब्र पर पांच बड़े पत्थर रखे गए थे, जिन्हें हटा पाना किसी जानवर के बस की बात नहीं। कब्र को खोदने के बाद मिट्टी चारों तरफ बराबर बिखरी हुई है, जबकि जानवर एक तरफ ही मिट्टी बिखेरते हैं। खास बात यह भी है कि कफन के कपड़े को भी शव से निकाला गया है, जबकि जानवर उसे फाड़ देता।
मंदिर पर क्यों ठहर गया ब्रूनो
पुलिस ने मौके पर डॉग स्क्वायड को भी बुलवा लिया। मास्टर चंदन ने जैसे ही कफन का कपड़ा अपने डॉग ब्रूनो को सुंघाया वह फौरन विश्राम घाट के पास वाली बस्ती की ओर चल दिया। ब्रूनो एक धार्मिक स्थल पर जा पहुंचा और उसके इर्द-गिर्द घूमने लगा। इसके बाद पुलिस बस्ती के लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है।
सब इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया है कि बच्ची के शव का इस्तेमाल किसी तांत्रिक विद्या के लिए किया गया हो।
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