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12 सितंबर 2011

आशियाने लगे भरभराने

कोटा। घर बनाने के लिए लोग लाखों जतन करते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से कमजोर मकान अचानक ढह जाते हैं तो पीडित परिवारों के लिए जिंदगी भर कड़वी यादें छोड़ जाते हैं। पिछले महीनों में हाड़ौती में कई आशियाने भरभराए और लोगों की खून-पसीने की कमाई मिट्टी में मिल गई। इन हादसों से सबक लिया जा सकता है, लेकिन आमजन जागरूक नहीं हैं।

गैर अभियांत्रिक मकान हैं खतरा
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के सिविल विभाग से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो मामूली विपरीत स्थिति में गिरने वाले मकान गैर अभियांत्रिक (नॉन इंजीनियरिंग) मकानों की श्रेणी में आते हैं। जिन्हें बनाने में अकुशल कारीगर काम करते हैं। इनके निर्माण में प्लानिंग, जमीन की जानकारी, कुशल अभियंता व वास्तुकार की मदद भी नहीं ली जाती।

बढ़ रही है संख्या
शहर में बस रहीं कच्ची बस्तियों और कृषि भूमि पर बन रही कॉलोनियों के चलते गैर अभियांत्रिक भवनों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अभियंता और वास्तुकार का खर्च अनावश्यक माना जाता है।

प्रशासनिक ढीलापन
शहर में अतिक्रमण कर बसी बस्तियों में यह घटनाएं सबसे अधिक होती हैं, क्योंकि यहां निर्धारित मापदण्डों के बिना ही निर्माण कर दिए जाते हैं। प्रशासन भी तब चेतता है, जब बस्तियां बस जाती हैं।

अवैध भूखण्ड खतरनाक
नदी-नाले या अन्य पानी के बहाव क्षेत्र में जमीन होने की स्थिति में भूमि में नमी आ जाती है, दलदलीय क्षेत्र भी विकसित हो जाता है। पानी की उचित निकासी नहीं होने के कारण जमीन में पानी रमता है और दीवारें ढह जाती है।

यूं भरभराते हैं मकान
आमजन व निर्माण कार्य से जुड़े लोगों में निर्माण संबंधी न्यूनतम आवश्यक जानकारी का अभाव।
स्थानीय तौर पर प्रचलित निर्माण तकनीक में खामियां।
अवैध भूखण्डों, नदी-नाले के बहाव क्षेत्र, कचरे से भरे गड्ढे व ढलान वाली जमीन पर निर्माण
साधारण सावधानियां
मकान की बाहरी दीवारों में कम से कम बालकनियां या बाहरी झुकाव हो।
कमरों का आकार यथासंभव वर्गाकार ही हो।
नींव की गहराई को पुख्ता मिट्टी अथवा चट्टान तक ले जाएं।
समस्त दीवारों के कुर्सी तल पर प्लिंथ बैंड व लिंटल तल पर लिंटल बैंड का प्रयोग हो। ये बेंड आरसीसी के बीम के रूप में होते हैं। इनसे सम्पूर्ण मकान को एकात्मकता मिलती है।
सीमेंट मसाला या सीमेंट कंक्रीट बनाते समय पानी की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो, क्योंकि अधिक पानी से सीमेंट का सामथ्र्य कम हो जाता है।
पत्थर की दीवार की मोटाई 11-12 इंच से कम नहीं लें। दीवार में उध्र्वाधर जोड़ को टाला जाए क्योंकि इसके फटने की संभावना रहती है।
[तकनीकी विवि के सिविल विभाग के डॉ.बी.पी. सुनेजा ने बताया।]

पिछले दिनों हुए हादसे
2 सितम्बर - नदी पार क्षेत्र की बापू कॉलोनी में मकान की दीवार ढही। महिला की मौत।
5 अगस्त - किशोरपुरा क्षेत्र में तीन मंजिला मकान ढहा। बालिका और मां की मौत।
7 जुलाई - नान्ता क्षेत्र में स्कूल की छत ढही। आस-पास के मकान की दीवारों में भी दरारें आई। कुछ लोगों को हल्की चोटें भी आई। स्कूल में विद्यार्थी नहीं होने से हादसा टला।
इसके अलावा 11, 9 व 6 अगस्त तथा 30 व 20 जुलाई को भी कोटा में मकान या दीवारें गिरने की घटनाएं हुईं।

प्रमोद मेवाड़ा

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