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12 सितंबर 2011

90 दिन भी नहीं टिके 5 करोड़ के रंग

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जयपुर.आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एमडीएमए) की ओर से घाट की गूणी में कराया गया रेस्टोरेशन कार्य उखड़ने लगा है। एमडीएमए ने आमेर महल में भी यही काम किया था, पर दोनों जगह रात-दिन का अंतर नजर आता है।

भास्कर ने घाट की गूणी में जाकर देखा तो कोई भी मंदिर ऐसा नहीं था, जिसमें परतें नहीं उखड़ी हों, चूना नहीं झड़ा हो और अराइश का काम खुरदरा न हुआ हो। एमडीएमए ने तीन महीने में पांच करोड़ की लागत से यह काम किया। रुपया जेडीए ने दिया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि एडीएमए सही तरीके से काम कराता तो रेस्टोरेशन का काम बिगड़ता नहीं।

काम करने वाली एजेंसी :

आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण

खर्च :

6 करोड़ रुपए, विकास कार्य व रेस्टोरेशन, कंजरवेशन शामिल

काम पूरा :

गूणी के एक तरफ का काम 3 माह पहले पूरा हो गया।

तरीका क्या अपनाया :

यहां चूना लगाकर उसे पर फाइनल लेयर चढ़ाकर अराइश किया गया, लेकिन घिसाई तकनीक ठीक नहीं थी। खोपरे की घिसाई, थिकनेस व फाइन लेयर कहीं दिखाई नहीं दी। फाइनल लेयर की थिकनेस पूरी नहीं है, केवल उस पर पेंट कर दिया गया है (ऐसा दिखता है)। चूने को कम से कम 3 माह तक पानी में डुबोकर रखने के बाद ही लगाना चाहिए था। फाइनल लेयर के लिए यह अवधि कम से कम एक साल की होनी चाहिए थी।

स्थिति :

जगह-जगह से उखड़ा, अराइशिंग बेहद खुरदरी, पेंटिंग्स पानी से धो दी गई।

छत-दीवार की परतें गिरने लगीं

घाट की गूणी में विश्वकर्माजी मंदिर और देवस्थान विभाग के बिहारीजी मंदिर की छत व दीवारों पर लगाई गई चूने की नई परत उखड़कर नीचे गिर रही है। पुजारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि करीब तीन माह पहले ही यहां काम पूरा हुआ था। दीवारों पर टंचाई कराए बिना चूना पोत दिया गया था, जिसकी परतें उखड़ गई हैं।

पानी से धो दी चित्रकारी

विजय गोविंदजी मंदिर में प्राचीन चित्रकारी को ही रेस्टोरर ने पानी से धो दिया। पुजारी प्रेमकुमार शर्मा का कहना था कि जब उन्होंने इसे बिगाड़ दिया तो हमने काम कराने से मना कर दिया और रुकवा दिया।

"जिस स्थान पर अराइश कार्य हुआ है, वहां हाथ रखने पर बहुत चिकनाई वाली स्थिति बनती है। वह जगह शाइनिंग देती है। घाट की गुणी की स्थिति में यदि अराइश के नाम पर दीवारें खुरदरी हैं तो संबंधित एजेंसी को फिर से काम कराना चाहिए।"

-विनोद भार्गव, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट, पीडब्लूडी

(आमेर महल में काम की जांच के लिए पूर्व में हाईकोर्ट की गठित कमेटी के चेयरमैन भी हैं)

"घाट की गूणी में कंजरवेशन व रेस्टोरेशन की जिम्मेदारी मेरे पास अभी हाल में ही आई है। मैं कल ही जाकर देखता हूं, यदि इस तरह की स्थिति है तो यह बहुत खराब है। मैं कल ही उसे दुबारा सही कराता हूं।"

-बी.डी. गर्ग, कार्यकारी निदेशक (कार्य)

आमेर महल

कार्य एजेंसी : एडीएमए

खर्च :

वर्तमान प्रोजेक्ट 4.85 करोड़, इसमें सुरंग विकास

रेस्टोरेशन- कंजरवेशन शामिल

काम वर्तमान में चल रहा है।

स्थिति :

रेस्टोरेशन में अराइशिंग व क्लीनिंग का काम खूबसूरत है। पेंटिंग्स को फिर से उभार दिया गया है। सालों साल में भी नहीं बिगड़ने वाला। (इस प्रकार की रिपोर्ट हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने दी थी)

काम करने का तरीका :

यहां चूना लगाने के साथ गीले चूने पर ही फाइनल लेयर से अराइश किया गया। खोपरे की घिसाई, थिकनेस व फाइन लेयर का बारीकी से ध्यान रखा गया।

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