भारत में अमेरिकी राजदूत तिमोथी जे रोमर की ओर से अगस्त से दिसम्बर 2009 के बीच भेजे गए गोपनीय संदेश में यह तथ्य सामने आया है। इन संदेशों के मुताबिक अमेरिका का मानना है कि बीजेपी के आंतरिक मामलों में आरएसएस की सीधी दखल होती है। 21 दिसंबर 2009 को लिखे एक संदेश के मुताबिक, ‘2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद आरएसएस ने पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दिया। एक ऐसा राजनेता जो सीधे तौर पर भी कभी एक भी चुनाव नहीं जीता, उसे बीजेपी का अध्यक्ष चुना जाना आश्चर्यजनक है।’
गोपनीय संदेश में कहा गया है, ‘आरएसएस किसी क्षेत्रीय, युवा चेहरे को बीजेपी का अध्यक्ष बनवाना चाहता था जो हिंदू राष्ट्रवाद पर आधारित संघ की विचारधारा को बीजेपी में पूरी तरह लागू करे। इस लिहाज से गडकरी बिल्कुल फिट दिखे।’ हालांकि इस संदेश में सुषमा और जेटली का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया है लेकिन ‘दिल्ली स्थित गैर-आरएसएस नेताओं’ का जिक्र है। इससे साफ तौर पर लगता है कि इशारा जेटली और सुषमा की ओर था।
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