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20 सितंबर 2011

इसी हफ्ते धरती पर आसमान से गिर सकता है आग का गोला, नासा ने चेताया


हैदराबाद में बी . एम . बिड़ला साइंस सेंटर के डायरेक्टर बी.जी. सिद्धार्थ का कहना है कि 1970 के शुरु में ऐसीही घटना स्काईलैब अंतरिक्षयान के साथ हुई थी। तब उससे जानमाल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। भारतकी कल्पना चावला समेत अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा रहे स्पेस शटल कोलंबिया के कुछ टुकड़े भी धरती पर गिरेथे। इनसे भी पृथ्वी पर किसी को नुकसान नहीं पहुंचा था। 26 टुकड़े गिरेंगे धरती पर इस सैटलाइट के करीब 26 बड़े टुकड़े धरती के वायुमंडल को चीरकर सतह तक पहुंच सकते हैं। नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि गुरुवार से रविवार के बीच यह सैटलाइट पृथ्वी पर गिर सकता है। पूरी तरह सही वक्त का अंदाजा इसके धरती के वायुमंडल में घुसने से करीब दो घंटे पहले ही लग सकेगा।

वॉशिंगटन. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चेतावनी दी है कि अंतरिक्ष में पिछले 20 सालों से धरती का चक्कर लगा रहा एक सैटलाइट इसी हफ्ते धरती पर गिर सकता है। यह सैटलाइट अब बेकार हो चुका है और धरती की तरफ बढ़ रहा है। इसका वजन साढ़े छह टन का है। यह धरती पर किस जगह टकराएगा, इस बारे में अभी कोई अनुमान नहीं है।


अपर एटमॉसफियर रिसर्च सैटलाइट (यूएआरएस) 35 फुट लंबा और 15 फुट चौड़ा है। वैसे तो अंतरिक्ष से अक्सर बाहरी चीजें धरती की तरफ आती रहती हैं लेकिन पृथ्वी के वातावरण में घर्षण से जलकर नष्ट हो जाती हैं। लेकिन यह सैटलाइट काफी बड़ा है इसलिए इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका है। इस टक्‍कर के साथ काफी आग निकलेगी। हालांकि इससे नुकसान की आशंका न के बराबर (3200 में से सिर्फ एक) है।

नासा ने इशारा किया है कि सैटलाइट के टुकड़े उत्तरी कनाडा और दक्षिणी अमेरिका के दक्षिण हिस्से में गिर सकते हैं। यानी भारत समेत धरती का ज्यादातर हिस्सा इसके निशाने पर है। वॉशिंगटन के सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की डायरेक्टर विक्टोरिया सैमसन ने बताया कि धरती का करीब 75 प्रतिशत हिस्सा समुद्र है इसलिए यह संभावना ज्यादा है कि यह सैटलाइट समुद्र में गिरे।


75 करोड़ डॉलर से बने इस सैटलाइट को 1991 में लॉन्च किया गया था। ओजोन लेयर और बाहरी वातावरण के अध्‍ययन के लिए इसे अंतरिक्ष में भेजा गया था। इसे तीन साल काम करने के मकसद से बनाया गया था। लेकिन यह 14 साल तक चला। बेकार होने के बाद यह पृथ्वीकी कक्षा में घूम रहा है और घर्षण के कारण टूट गया है। फिलहाल यह धरती से 240 किमी ऊपर चक्कर काट रहा है।

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