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08 सितंबर 2011

फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले ने कहा- जयपुर एयरपोर्ट से ही जाना

जयपुर। विमान से शारजाह पहुंचे बांग्लादेशी हबीबुल्लाह के लिए रिश्तेदार ने तीन माह पहले दिल्ली से फर्जी पासपोर्ट बनवाया और हिदायत दी थी कि वह जयपुर से ही उड़ान भरे। ऐसा क्यों? जांच एजेंसियों की मानें तो इसके दो ही कारण हो सकते हैं। पहला, लापरवाही और दूसरा मिलीभगत? जांच में अभी तक लापरवाही को ही प्रमुख कारण माना जा रहा है।

एयरपोर्ट अथॉरिटी की मानें तो यहां सातस्तरीय जांच होती है। ऐसे में मामला भी सातस्तरीय लापरवाही का हो जाता है। वो भी तब, जब जयपुर समेत देश के बड़े शहरों में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल है- कोई भी शहर में वारदात को अंजाम देकर किसी अन्य के पासपोर्ट पर फोटो लगाकर विदेश चला जाए तो? गौरतलब है कि हबीबुल्लाह 2 सितंबर को जयपुर से शारजाह गया था, पासपोर्ट फर्जी मिला तो उसे एयरपोर्ट से ही वापस जयपुर भेज दिया गया। यहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

हबीबुल्लाह से ‘डोलकराम’ बनने की दी गई ट्रेनिंग

एटीएस तथा इंटेलीजेंस की टीम द्वारा गुरुवार की गई पूछताछ में आरोपी ने बताया कि जिस व्यक्ति ने उसका पासपोर्ट बनाया उसके पास तीन चार और पासपोर्ट थे। आरोपी के पास एक फोन नंबर भी मिला जिसकी जांच कर रही है। पासपोर्ट पर हबीबुल्लाह का फोटो लगाकर नया रूप दिया गया है।

हबीबुल्लाह (21) चार माह पहले बांग्लादेश से पहली बार भारत आया था। उसका रिश्तेदार करीब आठ साल से दिल्ली में कारपेंटर का काम कर रहा है, जिसने उसे यहां बुलाया। पहले कोलकाता से हैदराबाद गया और वहां दो माह काम करने के बाद दिल्ली आ गया। वहां रिश्तेदार ने उसकी फोटो ली और कुछ दिनों बाद उसका पासपोर्ट लाकर दिया।

हबीबुल्लाह ने बताया कि जब उसके रिश्तेदार ने उसे पासपोर्ट दिया था, तब कहा था कि अब उसका नाम हबीबुल्लाह नहीं डोलक राम है और वह नेपाल में रोलपा का रहने वाला है। इसके लिए उसने कई बार अभ्यास भी कराया। सांगानेर एयरपोर्ट पर उससे पूछा तो उसने खुद का नाम डोलक राम ही बताया। इसके बाद वह विमान से शारजाह पहुंच गया। वहां पर उससे कई तरह के सवाल पूछने के दौरान उसके मुंह से हबीबुल्लाह नाम निकल गया। इस पर वहां के अधिकारियों ने उससे कड़ाई से पूछताछ की तो सही बात बता दी, जिसके बाद उसे वापस जयपुर भेज दिया।

13 दिसम्बर 2006 को बना था पासपोर्ट

हबीबुल्लाह के पास से बरामद पासपोर्ट (नंबर 3299929) 13 दिसम्बर 2006 को नेपाल में बना था । पुलिस को शक है कि जस व्यक्ति ने हबीबुल्लाह का पासपोर्ट बनाया है उसके संपर्क पासपोर्ट की खरीद-फरोख्त करने तथा फर्जी पासपोर्ट बनाकर लोगों को विदेश भेजने वाले गिरोह से हो सकते हैं।

अकेला था इसलिए भारत आ गया

हबीबुल्लाह ने बताया कि उसकी मां की काफी समय पहले मौत हो गई थी। पिता ने दूसरी शादी कर ली और उसे घर से निकाल दिया। बांग्लादेश में वह मजदूरी करने लगा। करीब पांच माह पहले उसके चचेरे भाई ने उसे दिल्ली बुलाया। वहां उसी ने पासपोर्ट बनाया। वह पढ़ा लिखा नहीं है, जिसके कारण उसे पता ही नहीं है की पासपोर्ट पर क्या लिखा है। जो भाई ने बताया था वही पूछताछ में वह बताता रहा।

एयरपोर्ट टर्मिनल गेट पर प्रवेश के समय सीआईएसएफ की जांच, जिसमें कोई भी आई कार्ड व टिकट देखा जाता है।

प्रवेश के बाद दूसरी जांच भी सीआईएसएफ करती है, जिसमें केवल यात्री ही होते हैं, जिन्हें एयर टिकट दिखाना होता है। विजिटर्स को यहां से आगे नहीं जाने दिया जाता।

एयरलाइंस काउंटर पर जांच, जहां टिकट की जांच के साथ बोर्डिग पास दिए जाते हैं।

इमिग्रेशन काउंटर , यहां गहन जांच, जिसमें यात्री के पासपोर्ट, टिकट, वीजा, बोर्डिग व संपूर्ण सामान की जांच होती है।

कस्टम जांच, जहां यात्रियों के पास कोई कीमती सामान है तो वह उस यात्री के पास कैसे आया, की जांच होती है।

बोर्डिग लेकर अंतिम जांच के रूप में सीआईएसएफ मैटल डिटेक्टर से यात्री की जांच व एक्सरे मशीन से उसके हैंडबैग व अन्य छोटे मोटे सामान की जांच करती है। इसे सिक्योरिटी होल्ड कहा जाता है।

सिक्योरिटी होल्ड के बाद एयरलाइंस कंपनी के क्रू सदस्य यहां फिर बोर्डिग पास जांच कर यात्रियों को एयरक्राफ्ट में ले जाते हैं।

कैसे हुई चूक

1. आमतौर पर नेपाली और इस प्रकार के लोग किसी के कर्मचारी के रूप में जैसे काम करने वाले कर्मचारी के रूप में बाहर जाते हैं। जिसके लिए वह व्यक्ति उसका शपथ पत्र भी दे देता है कि यह मेरे यहां नौकर है। सूत्रों के अनुसार ऐसे यात्रियों पर विभाग के इंस्पेक्टर बहुत अधिक ध्यान नहीं देते और सामान्य जांच कर आगे निकाल देते हैं।
2. एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन विभाग में फ्लाइट्स के आने और जाने के दौरान जांच का अत्यधिक दबाव बढ़ जाता है। असल में जयपुर एयरपोर्ट पर एक समय में 7 से 8 इंस्पेक्टर व अधिकारी इस विभाग में रहते हैं, जो इस दबाव को देखते हुए आधे से भी कम हैं। ये दोनों कारण भी हबीबुल्लाह को दम्माम भेजे जाने के कारक हो सकते हैं।

बारकोडिंग जांच से पता चलता है पासपोर्ट असली या नकली

सभी हवाई अड्डों पर इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पासपोर्ट के बारकोडिंग की जांच होती है, जिससे पासपोर्ट के असली-नकली होने का पता चलता है। इसके अलावा इंटरनेट पासपोर्ट के नाम से एक सॉफ्टवेयर कई देशों के हवाई अड्डों पर अपलोड है। इसमें देशभर में जारी हुए पासपोर्टो का रिकॉर्ड रहता है और इसे देखने पर पता चल जाता है कि पासपोर्ट का नंबर असली है या नकली।

> 90 प्रतिशत नकली पासपोर्ट के मामलों की जांच में पता चला है कि पासपोर्ट तो असली थे, लेकिन मशीन पर मिसमैच होने से गफलत पैदा हुई।
> इंटरनेट पर अधूरी जानकारी अपलोड होने से भी गफलत पैदा हो सकती है।
> फोटो लैमिनेशन, हस्ताक्षर में फर्क और छोटी-मोटी त्रुटि मिलने पर भी विदेश वाले यात्री को वापस भेज देते हैं।
> बारकोडिंग में फर्क, माता-पिता या खुद के नाम पर फर्क मिलने से भी पासपोर्ट को फर्जी मान लिया जाता है और यात्रियों को एयरपोर्ट से वापस
भेज देते हैं।

जब जयपुर, जोधपुर के यात्री को बैंकॉक हवाई अड्डे से लौटना पड़ा

पछले दिनों जयपुर का एक व्यक्ति बैंकॉक तो पासपोर्ट में कमियां बताकर वापस इंडिया भेज दिया गया। दरअसल इस व्यक्ति का पासपोर्ट 20 वर्ष के लिए था, लेकिन इंटरनेट पर अपलोड की गई जानकारी में दस वर्ष का अपडेट था। उसके बाद व्यक्ति ने पासपोर्ट विभाग में संपर्क किया तो गलती दूर की गई। इसी तरह के अन्य मामले में जोधपुर के एक यात्री को लौटना पड़ा था क्योंकि उसका पासपोर्ट भी मिसमैच हुआ था।
(नोट- यह जानकारी राज्य के पासपोर्ट अधिकारी श्रवण कुमार वर्मा ने उपलब्ध कराई)

इसमें एयरपोर्ट को सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है। यह मामला केवल पासपोर्ट की जांच का है, जिसके लिए इमिग्रेशन विभाग ही जिम्मेदार है, जिसने मुझे केवल यह सूचना दी है कि एक व्यक्ति को पकड़ा है और उसे पुलिस के हवाले किया गया है। वे क्या जांच कर रहे हैं, उन्होंने क्या कार्रवाई की, यह उनका विषय है, हमारा नहीं। -आर.के. सिंह, निदेशक, एयरपोर्ट

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