..और इलाज नहीं मिलने से ‘पापा-पापा’ करते हुए मर गया बच्चा
नागौर/ जायल/जोधपुर। जिले के जायल विधानसभा क्षेत्र के तंवरा गांव में गुरुवार तड़के एक 14 साल का गरीब बालक विजयसिंह समय पर इलाज नहीं मिलने से ‘पापा -पापा ’ कहते मर गया। बीमार बच्चा, उसकी विक्षिप्त व विधवा मां और दो बीमार भाइयों वाले परिवार को पेंशन, बीपीएल कार्ड व निशुल्क इलाज जैसी सुविधाओं की दरकार थी, मगर किसी ने इस असहाय परिवार की खैर खबर नहीं ली। इस परिवार की पेंशन स्वीकृति को भी छह माह पूर्व प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविर में लेने के बाद गायब कर दिया गया। अब इस मामले पर प्रशासन के अधिकारी कुछ करने की बजाय बचाव मुद्रा में आ गए हैं। वे कहते हैं, ‘मौत भूख से नहीं हुई।’ विजय सिंह की मौत इंसानियत को झकझोरने वाली है। उसके पिता गिरधारी सिंह की छह साल पहले मौत हो गई थी। फिर उसकी पत्नी उगमा कंवर अपना मानसिक संतुलन खो बैठी। परिवार में कोई देखभाल करने वाला नहीं था। चार में से तीन बच्चे शैतान सिंह, कान सिंह व विजय सिंह भी मानसिक रूप से बीमार हो गए। सबसे छोटे बेटे दिलीप सिंह की मानसिक स्थित कुछ ठीक थी। इस परिवार को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। मां बच्चों को लेकर ठोकरें खाती रहीं। अब शैतान 16 व कानसिंह 13 साल का है।
किसी ने नहीं सुनी
भारतीय किसान संघ के जिला संगठन मंत्री लक्ष्मीनारायण विश्नोई व युवा कांग्रेस विधानसभा क्षेत्र महासचिव राजेंद्र डिडल ने भास्कर को बताया ‘हमने एक माह पहले बस स्टैंड पर इन बीमार बच्चों व विक्षिप्त मां को तड़पते देखा तो एसडीएम भागीरथ मीणा को सूचना दी।’ एसडीएम ने जायल बीडीओ को निर्देश दिए, मगर किसी ने इनकी 25 दिन तक सुध नहीं ली।
मौत के बाद याद आई सहायता
गुरुवार तड़के विजय सिंह की मौत की सूचना पर प्रशासन में हड़कंप मचा। कई दिन से कागजात दबाकर बैठे बीडीओ ने बच्चे की मौत की जानकारी मिलने पर परिवार के पेंशन कागज तैयार कराए।
विधायक को जानकारी ही नहीं
जायल विधायक मंजू मेघवाल से उनके क्षेत्र में गरीब बच्चे की समय पर इलाज नहीं मिलने से हुई मौत के बारे में भास्कर ने पूछा तो उनका कहना था, ‘मुझे इस पूरे मामले की जानकारी नहीं है।’
पूछा तो मिला यह जवाब
जायल बीडीओ सुरेंद्र कुमार ने विजय सिंह की मौत के मामले में कहा कि ‘उगमा कंवर गरीब नहीं है, उसके पास 16 बीघा जमीन है, मैं घर गया, वहां बाजरा पड़ा था, पक्का मकान है।’
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