जयपुर.खादी एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री गोलमा देवी ने बुधवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री से मिल कर इस्तीफे की पेशकश की।
इससे पहले दो बार वे ऐसी पेशकश कर चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इस्तीफा नहीं लेने के बाद अब गोलमा देवी गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को इस्तीफा देने के लिए कांग्रेस कार्यालय जाएंगी।
गोलमा देवी ने कहा कि वे मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने गईं थीं, लेकिन उनका इस्तीफा माना नहीं जा रहा है। अब वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को इस्तीफा देकर उनसे इसे स्वीकार करवाने का आग्रह भी करेंगी। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के बयान से काफी आहत हैं।
गोपालगढ़ प्रकरण के बाद राज्यमंत्री गोलमा देवी के पति सांसद किरोड़ी लाल मीणा की ओर से भरतपुर और अलवर में सभाएं करने के बाद डॉ. चंद्रभान ने कहा था कि गोलमा देवी इस्तीफा क्यों नहीं दे देती।
उन्होंने कहा था कि एक तरफ तो मंत्री होने के कारण सारी सुविधाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और दूसरी ओर राज्य मंत्री के पति सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इस बयान के बाद गोलमा ने इस्तीफे की पेशकश की है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 सितंबर 2011
प्रदेशअध्यक्ष की टिप्पणी पर फिर इस्तीफ़ा देने पहुंची गोलमा देवी!
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आपको एक लिंक भेज रहा हूँ इसको जरुर पढ़ें.
जवाब देंहटाएंदोस्तों, आज आपको एक हिंदी ब्लॉगर की कथनी और करनी के बारें में बता रहा हूँ. यह श्रीमान जी हिंदी को बहुत महत्व देते हैं. इनके दो ब्लॉग आज ब्लॉग जगत में काफी अच्छी साख रखते हैं. अपनी पोस्टों में हिंदी का पक्ष लेते हुए भी नजर आते हैं. लेकिन मैंने पिछले दिनों हिंदी प्रेमियों की जानकारी के लिए इनके एक ब्लॉग पर निम्नलिखित टिप्पणी छोड़ दी. जिससे फेसबुक के कुछ सदस्य भी अपनी प्रोफाइल में हिंदी को महत्व दे सके, क्योंकि उपरोक्त ब्लॉगर भी फेसबुक के सदस्य है. मेरा ऐसा मानना है कि-कई बार हिंदी प्रेमियों का जानकारी के अभाव में या अन्य किसी प्रकार की समस्या के चलते मज़बूरी में हिंदी को इतना महत्व नहीं दें पाते हैं, क्योंकि मैं खुद भी काफी चीजों को जानकारी के अभाव में कई कार्य हिंदी में नहीं कर पाता था.किसी ने कितना सही कहा कि-आज हिंदी की दुर्दशा खुद हिंदी के चाहने वालों के कारण ही है. मैं आपसे पूछता हूँ कि-क्या उपरोक्त टिप्पणी "विज्ञापन" के सभी मापदंड पूरे करती हैं. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मेरे द्वारा दी गई उपरोक्त जानकारी से अनेकों फेसबुक के सदस्यों ने अपनी प्रोफाइल में अपना नाम हिंदी में लिख लिया है. अब इसको कोई "विज्ञापन' कहे या स्वयं का प्रचार कहे. बाकी आपकी टिप्पणियाँ मेरा मार्गदर्शन करेंगी.http://rksirfiraa.blogspot.com/2011/09/blog-post_29.html