आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

12 सितंबर 2011

बड़े-बड़े दावों की पोल खोल देगी यह जीती-जागती 'तस्वीर'


जयपुर.प्रदेश में प्रसूता और नवजात बच्चों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने जननी सुरक्षा योजना सोमवार से शुरू कर दी, लेकिन सरकारी अस्पतालों के हालातों ने इस योजना की असलियत खुद ही बयां कर दी।

जयपुर के चांदपोल स्थित जनाना अस्पताल के पोस्ट-नैटल वार्ड में सोमवार को 60 से अधिक महिलाएं भर्ती थीं, जबकि यहां बेड क्षमता 30 है। इतना ही नहीं, अधिकांश बेड पर दो-दो बच्चे भर्ती थे।

ऐसे में बच्चों में न केवल संक्रमण होने का खतरा था, बल्कि प्रसूता महिलाओं को भी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था। एक बेड पर नायन अमरसर निवासी अनिता तथा नीमकाथाना की सुमन तीन बच्चों के होने से करवट भी नहीं ले पा रही थी, क्योंकि उनमें से एक के जुड़वां बच्चे हुए हैं।


जननी शिशु सुरक्षा योजना : कैल्सियम, बी कॉम्प्लेक्स जैसी दवाएं ही नहीं


प्रदेश में जननी शिशु सुरक्षा योजना (जेएसएसवाई) की शुरुआत ही बदइंतजामी की भेंट चढ़ गई।सरकार की ओर से अस्पतालों में न तो जरूरी सुविधाएं, दवाएं उपलब्ध कराई गईं और न ही लोगों के लिए दिशा-निर्देश थे।

यहां तक कि महिलाओं के लिए बहुत जरूरी कैल्सियम व बी-कॉम्प्लेक्स की गोलियां तक नहीं थी। बिना प्लानिंग के योजना शुरू करने से डॉक्टरों व नर्सेज को व्यवस्थाएं संभालने में पसीने आ गए।

एंटी-नैटल जांच (प्रसव पूर्व) तथा प्रसव कराने वाली महिलाओं की भारी भीड़ के कारण जगह कम पड़ गई। हर बेड पर दो-दो प्रसूताओं को रखना पड़ा। उनको करवट लेने की जगह नहीं मिल पा रही थी। किसी को यह सुध तक नहीं थी कि जननियों व नवजातों को संक्रमण भी हो सकता है।

यह नजारा शहर के किसी छोटे अस्पताल के नहीं बल्कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े प्रदेश के सबसे बड़े जनाना अस्पताल तथा महिला चिकित्सालय का था। ओपीडी, आईपीडी, पोस्ट-नैटल वार्ड, एंटी-नैटल चेकअप काउंटर पर भीड़ व योजना की जानकारी नहीं होने के कारण परिजन इधर-उधर भटकते नजर आए।

विद्याधर नगर से अपनी पत्नी का एंटी-नैटल चेकअप कराने आए नितीश ने बताया कि निशुल्क सुविधा मिलने वाली जानकारी के बोर्ड, बैनर्स नहीं लगे होने से दिक्कत हो रही है।

संक्रमण रोकने के लिए अहम ओटी ड्रेस, डिलीवरी व बेबी किट, पीसी एनीमा, स्कल्प वेन सेट, बार्बर थ्रेड (नंबर 40), रेजर ब्लेड, कैप, मास्क, बेबी डायपर उपलब्ध नहीं होने से ज्यादा परेशानी हुई। सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, उल्टी दस्त, पेट दर्द, बी कॉम्प्लेक्स एवं कैल्सियम की टैबलेट भी उपलब्ध नहीं कराने से अस्पताल प्रशासन के सामने समस्या खड़ी हो गई।

इसके अलावा बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवा व इंजेक्शन (वेनकोमाइसिन, टेजोबेक्टम, प्रीपेसीलीन आदि) नहीं थे।

जच्चा बच्चा के लिए नहीं हैं ये दवाएं

अस्पतालों में सिरिंज (2 एमएल), ईसीजी इलेक्ट्रोड, आईवी केन्यूला, सक्शन केथेटर्स, सैन्ट्रल लाइन, वेक्यूम सक्शन सेट, बीटी व एमवी सेट, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब, सर्फेक्टेंट (3 एमएल),डिनोप्रोस्टोन जेल, एंटएसीड सिरप, फ्रूसेमाइड, हिपेटाइटिस इंजेक्शन, एजीथ्रोमाइसिन, जेंटामाइसिन, सेफोटेक्सिम, सिप्रोफलेक्सेसिन, मीरोपीनम (250 मिलीग्राम), एफीड्रिन, फेंटानिल, लीनेजोलिड (100 एमएल) आदि।

"योजना शुरू होने के बाद मरीजों की संख्या दुगुनी हो गई है। समस्या से निपटने के लिए सरकार को बेड की संख्या, नर्सेज के पदों में बढ़ोतरी और महत्वपूर्ण चीजें उपलब्ध कराने के लिए लिखा जाएगा। वर्तमान में 20 नर्सेज की आवश्यकता है।"

-डॉ. शशि गुप्ता, अधीक्षक, जनाना अस्पताल चांदपोल

"हम किसी भी महिला को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकते। उनको मिलने वाली निशुल्क सुविधा के लिए जल्द ही बैनर व पोस्टर लगाएं जाएंगे। योजना लागू होने के बाद सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा।"

-डॉ. लता राजोरिया, अधीक्षक,
महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...