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21 सितंबर 2011

इंदिरा और राजीव ने बचाया वरुण को

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नई दिल्ली.भाजपा नेता वरुण गांधी का सांसद पद बचाने में उनकी दादी इंदिरा गांधी और ताऊजी राजीव गांधी की ‘मदद’ मिली है। वरुण के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में कदाचार से जुड़े कई मामलों का संदर्भ लिया। इनमें इंदिरा और राजीव के मामले सर्वाधिक उपयुक्त रहे।
पिछले हफ्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरुण के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनके मामा व पीलीभीत से पराजित प्रतिद्वंद्वी वीएम सिंह की याचिका खारिज कर दी। सिंह ने दावा किया था कि वरुण ने आपत्तिजनक बयान दिए। जिससे हिंदू मतों का उनके खिलाफ ध्रुवीकरण हुआ। वरुण का तर्क था कि उनका बयान, ‘जो हाथ हिंदू के ऊपर उठेगा, उस हाथ को वरुण गांधी काट देगा’ उस समय दिया था, जब वे चुनाव प्रत्याशी नहीं थे।
वरुण ने राज नारायण विरुद्ध इंदिरा गांधी मामले का संदर्भ लिया। इस मामले में इंदिरा गांधी को संविधान संशोधन करना पड़ा था। हाईकोर्ट के प्रतिकूल फैसले के बाद वह सत्ता में बनी रही थीं। हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद ही उम्मीदवार बनता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस श्रीकांत त्रिपाठी ने इस फैसले के आधार पर कहा कि वरुण ने जब आपत्तिजनक बयान दिया था, तब वह प्रत्याशी नहीं थे। इसलिए आपत्ति खारिज हो जाती है।
वरुण ने सिंह की याचिका पर एक और आपत्ति की थी। इसमें कहा गया था कि जिस टिप्पणी की बात की जा रही है, वह अनिश्चित है। न तो समय को स्पष्ट किया गया है और न ही स्थान को। इस मामले में उन्होंने अजहर हुसैन विरुद्ध राजीव गांधी प्रकरण का संदर्भ लिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी वाक्य का पूरा होना जरूरी है। महज वाक्यांश किसी को दोषी नहीं बनाता

सिंह ने यह भी कहा कि वरुण ने प्रत्याशी बनने से पहले दिए गए अपने भाषण का चुनाव प्रचार में फायदा उठाया। उसने मीडिया में अपने शब्दों को दोहराने से नहीं रोका। दरअसल, वरुण ने चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक वाक्य को पूरा नहीं दोहराया। वह कहते थे, ‘जो हाथ हिंदू के ऊपर उठेगा उस हाथ को ..’। श्रोता इसे आगे बढ़ाते और कहते ‘वरुण गांधी काट डालेगा।’ ऐसा करके वरुण ने फिर बिना पूरा वाक्य कहे ही अपनी भावनाएं जनता तक पहुंचा दी।

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