बीजिंग ने इस मामले में डिमार्शे के जरिए राजनयिक स्तर पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि चीन की इजाजत के बिना ब्लॉक नंबर 127 और 128 में ओवीएल की कोई भी गतिविधि गैरकानूनी मानी जाएगी। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि चीन के डिमार्शे का औपचारिक जवाब दे दिया गया है। फिर भी 16 सितंबर को विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की वियतनाम यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठेगा। उन्होंने कहा कि चीन को चिंता है, लेकिन हमने उन्हें बता दिया है कि वियतनाम प्रशासन से हुई सहमति के आधार पर हम काम कर रहे हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 सितंबर 2011
चीन की दादागीरी: कुआं वियतनाम का, फिर भी भारत को तेल निकालने से रोका
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देखी रचना ताज़ी ताज़ी --
जवाब देंहटाएंभूल गया मैं कविताबाजी |
चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
और जिता दे हारी बाजी |
लेखक-कवि पाठक आलोचक
आ जाओ अब राजी-राजी-
क्षमा करें टिपियायें आकर
छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||
http://charchamanch.blogspot.com/
जिसकी लाठी भैंस उसी की, बड़ी कहावत |
जवाब देंहटाएंयह अपनी सरकार, नए हद स्वयं बनावत ||
किसे पता कब जाय, सौंप देंगे वो हिस्सा |
याद नहीं क्या मित्र, बांग्ला-ताजा किस्सा ||
बना रहे सम्मान देश का, सही करो अब नीत |
चीन-पाक अमरीका तक, भय बिन करिहैं प्रीत ||
शुक्रवार-http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंदेश की राजनीति ऐसी ही रही तो जल्द ही चीन ही भारत देश भी चलायेगा।
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