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02 सितंबर 2011

प्रेम नहीं करोगे तो जानोगे कैसे?

एक बार की बात है एक प्रेमी को किसी महलों में रहने वाली लड़की से प्यार हो गया। जब ये बात उसके परिवार वालों को पता चली तो उन्होंने उस लड़के के मरवाने के लिए कुछ गुंडों को भेजा। जब उस लड़की तक यह खबर पहुंची कि उसके प्रेमी को मरवाने की साजिश रची गई है तो उसने सबका विरोध किया। विरोध करने पर जब उसके घरवालों ने उस पर पहरे लगवा दिए तो वो अपने प्रेमी को बचाने के लिए पहरों को तोड़कर जब उस जगह पर पहुंची जहां उसके प्रेमी के सिर पर बंदुक रखे कुछ लोग खड़े थे। तब लड़की दौड़कर उसके प्रेमी के आगे खड़ी हो गई और बोली मुझे मार डालो। उसके बाद इसे मार देना तब उसे मारने वाले लोगों में से एक व्यक्ति बोला लड़की तू मौत को गले लगाने के लिए इतनी उतावली क्यों हो रही है।

तब उसने कहा कि मैं जानती हूं कि जिंदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं है लेकिन मैं मानती हूं कि प्रेम ही मेरे लिए सबकुछ है क्योंकि बिना प्रेम के जीवन कुछ भी नहीं। जो एक बार सचमुच प्रेेम के अर्थ को समझ लेता है।

उसे महसूस कर लेता है। उसकी पवित्रता को समझ लेता है। उसके मूल्यों को जान लेता है। बिना प्रेम के जीवन कुछ भी नहीं प्रेम से जीवन है बिना प्रेम जीवन नहीं। इसका कारण यही है कि प्रेम संसार का नहीं प्रेम तो ईश्वर का अंग है। जो प्रेम की गहराई को समझने लगता है। वह यह जानता है कि प्रेम जो सच्चाई वो कहीं और नहीं। प्रेम में जो ताकत है वह और कहीं नहीं इसीलिए मेरा प्रेम ही मर जाए उससे अच्छा है कि मैं ही अपने प्राण त्याग दूं। लेकिन तुम मुझे मार सकते हो क्योंकि शायद तुमने कभी किसी से प्रेम नहीं किया। इसीलिए तुम मेरी भावनाओं को जानोगे कैसे? इसीलिए शायद जिस दिन तुम्हे प्रेम की अनुभुति हो उस दिन तुम मेरी मौत का प्रायश्चित कर लोगे।

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